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रायगढ़// रायगढ़ जिला कोविड टीकाकरण के मामले में कीर्तिमान बना रहा है। 12 अगस्त तक जिले में लक्षित 10.68 लाख लोगों में से 10.15 लाख लोगों को कोविड टीके का पहला डोज लग चुका है यानी 95 फीसदी रायगढ़वासी कोविड वैक्सीन की कम-से-कम एक डोज ले चुके हैं। साथ ही 27 फीसदी लोगों ने कोविड का दूसरा डोज भी लगवा लिया है। तमनार, पुसौर, घरघोड़ा, बरमकेला ब्लॉक और रायगढ़ शहरी क्षेत्र में शत प्रतिशत लोगों को पहला डोज लग चुका है। लोईंग में 99 फीसदी तो खरसिया में 97 फीसदी लोगों ने टीका लगवा लिया है। सबसे कम 77 फीसदी सारंगढ़ के लोगों ने टीका लगाया है।
जिले में तीसरे चरण का टीकाकरण 1 मई से शुरू हुआ था। जिसके तहत 18 वर्ष से 45 वर्ष उम्र के बीच के लोगों के टीकाकरण की शुरुआत हुई थी। कोविडशील्ड के दूसरे डोज़ में 12-16 सप्ताह का तो कोवैक्सीन में 28 दिन का अंतर रखा गया। जिले में शुरुआत से ही कोविडशील्ड वैक्सीन ज्यादातर लोगों को लगाई गई है।
अगस्त महीने से ही 18 से अधिक आयुवर्ग के लोगों में दूसरी खुराक लेने का समय आ गया है जिसके मद्देनजर स्वास्थ्य विभाग ने अपनी तैयारी पूरी कर ली है। डॉक्टर्स भी बार-बार इस बात पर जोर दे रहे हैं कि वैक्सीन के दोनों डोज मिलने से ही आप संक्रमण से पूरी तरह से बच सकते हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि पहला डोज भी काफी प्रभावी होता है लेकिन दूसरे डोज से इम्यून सिस्टम को और अधिक मजबूती मिलती है।
दूसरी खुराक शरीर में मौजूद इम्यून सिस्टम में मेमोरी-बी कोशिकाओं (मैमोरी-बी-सेल्स) को भी उत्पन्न करती है। ये एक तरह के वाइट ब्लड सेल होती हैं जिनमें मौजूद रिसेप्टर्स वायरस के शरीर में प्रवेश करते ही सिस्टम को सचेत कर देते हैं और संक्रमण से हमारी सुरक्षा करती हैं। यदि आप टीके की पहली खुराक लेने के बाद COVID-19 से संक्रमित हो जाते हैं, तो आपको दूसरी खुराक के लिए 2-3 महीने तक इंतजार करने की सलाह दी जाती है। क्योंकि संक्रमित होने के बाद आपके शरीर में फिर से एंटीबॉडीज बननी शुरू हो जाती हैं।
घबराएं नहीं समय पर लें दूसरी डोज
जिला टीकाकरण अधिकारी डॉक्टर भानू पटेल का कहना है, कि अगर संभव हो सके तो निर्धारित तारीख को ही टीकाकरण कराएं। लेकिन किसी समस्या के चलते अगर उस डेट को वैक्सीन की दूसरी खुराक नहीं मिल पाती पाते तो इसमें घबराने की कोई बात नहीं है। दरअसल, कई लोग यह मान रहे हैं कि तय समय पर दूसरी डोज ना लगने पर वैक्सीन की पहली डोज बेकार हो जाएगी और उन्हें फिर से पहली डोज से शुरुआत करनी पड़ेगी। इस पर अभी कोई शोध भी नहीं हुआ है कि खुराक लेने में देरी होने से वैक्सीन का असर कम हो जाएगा। हालांकि, कोशिश करें कि निर्धारित तिथि के नजदीक ही किसी दूसरी तारीख को चुनें। इससे आपको संक्रमण की संभावना कम रहेगी।
वैक्सीनेशन है जरूरी : सीएमएचओ डॉ. केसरी
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ एसएन केसरी बताते हैं कि अगर वैक्सीन की कमी के चलते या फिर अन्य किसी समस्या के कारण आपको वैक्सीन की दूसरी डोज निर्धारित तारीख पर नहीं लग सकी या उससे 10-15 दिन ऊपर हो गए हैं तो घबराने की कोई जरूरत नहीं है। आप तब भी दूसरी डोज लगवा सकते हैं, क्योंकि पहली डोज आपके मेमोरी सेल में मौजूद रहती है और दूसरी डोज लगने के बाद ही पूरी एंटीबॉडीज बनती हैं। कुछ समय की देरी से अगर सेकंड डोज लगती है तो उसका कोई नुकसान नहीं है। वैज्ञानिकों का मानना है कि सिंगल डोज लेने के बाद कई मामलों में वायरस के खिलाफ शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बनी रहती है। ऐसे में यदि आप दोबारा वायरस के संपर्क में आते हैं तो ये प्रतिरोधक क्षमता दोबारा एक्टीवेट हो जाती है। लेकिन हर मरीज के साथ ऐसा हो ये भी जरूरी नहीं है। यदि वैक्सीनेशन के बाद मरीज के शरीर में ये प्रतिरोधक क्षमता नहीं बनती है तो ऐसे मामलों में बूस्टर डोज की जरुरत होती है।