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मुंगेली/ महावीर जयंती जैन समुदाय का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है। जैन ग्रंथों के अनुसार चैत्र शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को जैन समाज के अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्म हुआ था, जिस कारण जैन धर्म के लोग इस दिन को उनके जन्मदिवस के रूप में मनाते हैं। इस बार महावीर जयंती 25 अप्रैल यानी आज मनाई जा रही है।
भगवान महावीर ने पूरे विश्व को सत्य और अहिंसा का मार्ग दिखाया। भगवान महावीर ने अहिंसा परमो धर्म व जियो और जीने दो का संदेश दुनिया भर में फैलाया। इनके बचपन का नाम वर्धमान व श्रमण था। इनका जन्म 599 ईसवीं पूर्व बिहार के छत्रितकुण्ड लछवाड़ मे छत्रिय वंश के महाराज सिद्धार्थ और महारानी त्रिशला के घर हुआ था। वर्धमान ने ज्ञान की प्राप्ति के लिए महज तीस साल की उम्र में राजमहल के सुखों का त्याग कर दिया था उसके बाद उन्होंने तपोमय साधना का रास्ता अपना लिया था। माना जाता है कि उन्होंने 12 वर्षों की कठोर तप कर अपनी इंद्रियों पर विजय प्राप्त कर ली थी, इसलिए उन्हें महावीर के नाम से पुकारा गया।

अ.भा.खरतरगच्छ युवा परिषद मुंगेली के अध्यक्ष प्रसन्न चोपड़ा ने बताया कि इस वर्ष घर में ही भगवान का दरबार सजा कर प्रभु का जन्मोत्सव मनाया जा रहा है व प्रभु आरती ,भजन ,जप ,तप के द्वारा महामारी के जल्द खत्म होने की ईश्वर से कामना की जा रही है। वही जीव दया के रुप में गायो को रोटी खिलाने के साथ – साथ आस-पास के जरुरतमंदो को सुखे राशन का वितरण भी किया जा रहा है।
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