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रायगढ़/ कोरोना लॉक डाउन के बीच जहां अधिकांश काम धंधे बंद है। सरकार ने ग्रामीण आबादी के बड़े हिस्से द्वारा किए जाने वाले वनोपज संग्रहण कार्य को हरी झंडी देने के साथ संग्राहकों को विक्रय उपरांत मौके पर ही नकद भुगतान कि व्यवस्था कर बड़ी राहत पहुंचाई है।
ग्रामीण जनजीवन में लघु वनोपज संग्रहण व विक्रय आजीविका का महत्वपूर्ण जरिया है। यह मुख्यत: मौसम आधारित कार्य है। लॉक डाउन के चलते जहां यह कार्य भी बंद कर दिया था। किन्तु शासन ने पत्र जारी कर संग्राहकों की आर्थिक सुविधा के लिए कार्य पुन: आरंभ करने की सशर्त अनुमति दी है। जिसमें कोरोना से बचाव के निर्देशों का पालन करना जरूरी किया गया। वनोपज की खरीदी का कार्य समितियों और स्व-सहायता समूहों के माध्यम से किया जा रहा है। जिसमें ग्राम तथा हाट स्तर पर वनोपज खरीदे जा रहे हैं।
रायगढ़ जिले में मुख्यत: चरोटा, बहेड़ा, हर्रा, हर्रा कच, हर्रागोटा, इमली, महुआ फूल, नागरमोथा, चरौटा बीज, नागरमोथा, थवई फूल, शहद, करंजबीज सवई घास, माहुल पत्ता, इन्द्रजौ, कांटा घास, कांटा झाड़ू, परसा फूल, भेलवा व गिलोय जैसे उत्पादों का संग्रहण व विक्रय किया जाता है।
रायगढ़ जिले में अब तक कुल 804.91 क्विंटल वनोपज की खरीदी कर संग्रहकों को 10 लाख 18 हजार 176 रुपये का भुगतान किया जा चुका है। जिसमें 2 जिला यूनियनों के अंतर्गत रायगढ़ जिला यूनियन में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 343.68 क्विंटल तथा संघ दर पर 196.62 क्विंटल मिलाकर कुल 540.30 क्विंटल वनोपज की खरीदी की जा चुकी है। जिसके लिए 6 लाख 99 हजार 247 रुपये का भुगतान संग्राहकों को किया जा चुका है।
धरमजयगढ़ जिला यूनियन अंतर्गत न्यूनतम समर्थन मूल्य 138.54 क्विंटल तथा संघ दर पर 126.07क्विंटल मिलाकर कुल 264.61 क्विंटल वनोपज की खरीदी की जा चुकी है। जिसके लिए 3 लाख 18 हजार 929 रुपये का भुगतान संग्राहकों को किया जा चुका है।
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