भाई-बहन के प्यार के पर्व रक्षा बंधन पर कवि जयलाल कलेट ने भाई- बहनों को नई कविता की समर्पित, कोरोना काल मे भी जनजागरूकता हेतु लिख चुके है कविताएं..

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रायगढ़/ रक्षाबंधन के शुभ अवसर पर रायगढ़ के जयलाल कलेत ने अपनी कविता के माध्यम से भाई- बहनों के प्यार को अपने शब्दों के माध्यम से कविता के रूप में सजाया है.

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बता दे कि कलेत ने कोरोना काल में भी जागरूकता लाने के लिए कई कविताऐं लिखे हैं, जिनमे रात का दीपक, वक्त गुजर जायेगा,मैं चिंतित हूं, मेरे हर इक आंसू, मिडिल क्लास आदि रचनाएं है. वही इन कविताओं को लोक राग साहित्य नज़्म ने बड़ी प्रमुखता से प्रकाशित भी किया है.

आइए इनकी भाई – बहनों को समर्पित रक्षाबंधन नामक रचना को पढ़ते हैं:-

  "रक्षाबंधन"
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प्यार का सागर जैसा,
भैया मैं तो पाई हूं।
मेरे प्यारे भैया को,
मैं राखी बांधने आई हूं।

रक्षासूत्र थाली में लेकर,
मैं सामने आई हूं।
मेरे प्यारे भैया को,
मैं राखी बांधने आई हूं।

पावन पवित्र रिश्ता हमारा,
ये बतलाने आई हूं।
मेरे प्यारे भैया को,
मैं राखी बांधने आई हूं।

भाई बहन का प्यार को,
रेशमी डोरी में लाई हूं।
मेरे प्यारे भैया को ,
मैं राखी बांधने आई हूं।

तिलक और दीपक के साथ,
आरती थाली लाई हूं।
मेरे प्यारे भैया को,
मैं राखी बांधने आई हूं।

भैया के कलाई में,
एक बंधन बांधने आई हूं।
मेरे प्यारे भैया को,
मैं राखी बांधने आई हूं।

रिश्ता हो अटूट हमारा,
ऐसे कसमें खाई हूं।
मेरे प्यारे भैया को,
मैं राखी बांधने आई हूं।

रिश्ते हो हरदम मधुर,
मैं ऐसे मिठाई लाई हूं।
मेरे प्यारे भैया को,
मैं राखी बांधने की हूं।

जयलाल कलेत
रायगढ़ छत्तीसगढ़

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