पुलिस की वाहवाही के बीच गुम एटीएम लूटकांड में मारे गए ड्राइवर अरविंद पटेल के परिवार का दर्द, दो मासूम बच्चियों के सर से उठा पिता का साया..! पहाड़ सी जिंदगी और मुवाअजा अब तक सिर्फ 10000..?? कोई मसीहा भी नहीं आया सुध लेने..?

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रायगढ़// बीते दिनों किरोड़ीमल नगर आजाद चौक में स्थित एटीएम में लूट कांड की घटना को अंजाम दिया गया था जिसमे लुटेरों द्वारा कैश वैन के ड्राइवर अरविंद पटेल की गोली मारकर हत्या कर दी थी और 14 लाख 50 हजार रुपए लूटकर फरार हो गए थे, लेकिन इसी बीच रायगढ़ पुलिस ने अपनी सूझबूझ और बहादुरी का परिचय देते हुए मात्र 10 घंटों में ही इन्हें धर दबोचा।

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वही इस कार्यवाही से पूरे प्रदेश में रायगढ़ पुलिस की प्रशंसा की जा रही है। हर किसी की जुबान पर रायगढ़ पुलिस के लिए तारीफ के शब्द निकल रहे हैं। लेकिन पुलिस की वाहवाही करने वाले यह भूल गए कि ग्राम भीखमपुरा निवासी ड्राइवर अरविंद पटेल की इस घटना में मौत हो चुकी है और उसके परिवार सहित पूरे गांव में मातम पसरा हुआ है। इतना ही नही दो छोटी-छोटी बच्चियों के सर से पिता का साया भी उठ चुका है। विधवा पत्नी चंद्रकला की आंखों से आंसुओं की धार थम नहीं रही है, बूढ़े पिता के बुढ़ापे की लाठी छीन गई है और पूरे परिवार पर दु:ख का पहाड़ टूट पड़ा है।

अरविंद पटेल की पत्नी और दो मासूम बेटियां

इस घटना में मृत अरविंद पटेल के पिता घनश्याम पटेल का कहना है कि वह अकेला घर में कमाने वाला था और दोनों बेटियों की पढ़ाई लिखाई के साथ साथ पूरे परिवार की जिम्मेदारी भी उसी के कंधे पर थी। मगर उसके चले जाने के बाद परिवार की आर्थिक स्थिति डगमगा गई है। वहीं उन्होंने सरकार से परिवार की आर्थिक सहायता करने की मांग भी की है।

अरविंद पटेल के पिता घनश्याम पटेल

मिली जानकारी के मुताबिक अरविंद पटेल CMS कम्पनी में 8 वर्ष से काम रहा था और परिवार की आर्थिक स्थिति को वही संभालता था। लेकिन बीते दिनों लुटेरों ने अपने मनसूबे को अंजाम देने की कोशिश में उसकी गोली मारकर हत्या कर दिया। वही घटना के बाद इस कंपनी के अधिकारी घर आये और महज 10 हजार रुपये की आर्थिक सहायता देने के बाद अपना पल्ला झाड़ लिया और अब तक दुबारा उनके परिवार का हालचाल भी पूछने नही आए।

यहां यह बताना लाज़मी होगा कि इस लूट कांड को महज 10 घंटे में सुलझाने के बाद पुलिस की सफलता की प्रदेश भर में चर्चा है मगर सर से पिता के साए के बगैर रोते बिलखते मासूम बच्चों सहित पत्नी और परिवार की सुध लेने वाला कोई नहीं है। न तो सरकार का कोई नुमाइंदा पहुचा और न ही जिले का कोई जनप्रतिनिधी। अब देखने वाली बात यह होगी की बूढ़े पिता, लाचार पत्नी और मासूम बच्चियों के भविष्य की चिंता कौन करता है। प्रशासन, जनप्रतिनिधि, कंपनी या फिर स्वयं प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल।

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