जाति अत्याचार के खिलाफ आंदोलन कर रहे युवाओं के घर रात से ही पुलिस का पहरा, सच बोलने वाले खुद के ही सहयोगी मंत्री टीएस सिंहदेव के खिलाफ पत्र.. आखिर क्या है भूपेश सरकार की मंशा ?

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रायपुर/ छत्तीसगढ़ में इन दिनों सियासी घमासान मचा हुआ है एक ओर जाति अत्याचार से युवा व्यथित है और सोशल मीडिया से लेकर रायपुर में नग्न प्रदर्शन कर सरकार के खिलाफ आंदोलन करने को मजबूर है तो वही दूसरी ओर स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के इस्तीफे वाली चिट्‌ठी पर कांग्रेस में बवाल मचा हुआ है।

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मुख्यमंत्री निवास में हुई विधायक दल की बैठक में 14 मंत्रियों-विधायकों ने सिंहदेव के पत्र में लगाए गए आरोपों पर आपत्ति जताई है। पत्र को अनुशासनहीनता कहा गया। सिंहदेव के खिलाफ कार्यवाई की मांग वाले एक पत्र पर भी अधिकांश विधायकों के हस्ताक्षर लिए गए हैं। इसे लेकर प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया दिल्ली जाएंगे।

वही जाति अत्याचार के खिलाफ युवाओं ने प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर मुख्यमंत्री तक गुहार लगाई है लेकिन कही पर भी किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की गई है और ना ही बात सुनी गई। जिससे नाराज और हताश युवा 18 जुलाई को रायपुर में कलेक्टरेड स्थित डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के प्रतिमा के पास नग्न होकर धरना प्रदर्शन कर आंदोलन करने को मजबूर हुए लेकिन रात से ही आंदोलनकारी युवाओं के घर में पुलिस का पहरा बिठा दिया गया है। वही दूसरी ओर जाति अत्याचार करने वाले आरोपियों को शह दिया जा रहा है और वे खुलेआम घूम रहे है । ऐसे में खुद को न्यायप्रिय होने का मुखौटा पहने भूपेश सरकार अन्याय और अत्याचार का साथ देते नजर आ रही है।

यह है आंदोलन की वजह :-

तेलीबांधा में रहने वाले गंगा प्रसाद मार्कंडेय को कांग्रेस पार्टी के एक पदाधिकारी द्वारा प्रताड़ित किया गया और प्रताड़ना के चलते गंगा प्रसाद ने आत्महत्या कर ली. लेकिन पुलिस प्रताड़ित करने वाले व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं कर रही है. आरोपी खुलेआम स्वतंत्र रूप से घूम रहा है. पुलिस का कहना है कि आरोपी फरार है. वही कवर्धा जिले के धरमपुरा कांड से लेकर प्रदेश भर में जाति अत्याचार अपने चरमसीमा पर है। जिसके खिलाफ युवा आंदोलन करने पर उतारू है।

दूसरी ओर कांग्रेस के ही केबिनेट मंत्री टीएस सिंहदेव सरकार के कार्यशैली के खिलाफ आवाज उठाने की गुस्ताखी कर बैठे। जिस पर इनका भी सच का आवाज दबाने के लिए मुख्यमंत्री निवास में रविवार रात कांग्रेस विधायक दल की बैठक की गई जिसपर राष्ट्रपति चुनाव के मतदान का प्रशिक्षण देने के सिंगल एजेंडे पर बात हो ही रही थी कि नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिव डहरिया ने टीएस सिंहदेव के इस्तीफे का मामला उठा दिया। डहरिया ने कहा, यह सरकार को अपमानित करने वाली स्थिति है। सरकार अच्छा काम कर रही है। इसके बावजूद ऐसा लिखा जा रहा है, यह बेहद आपत्तिजनक है।

राजिम विधायक अमितेश शुक्ला ने कहा, उनके बाप-दादा के जमाने में भी कभी ऐसा नहीं हुआ। यह ठीक नहीं हो रहा है। भिलाई विधायक देवेंद्र यादव ने यहां तक कह दिया कि यह सरासर अनुशासनहीनता का मामला है। ऐसा पत्र लिखने वाले के खिलाफ अभी और यहीं कार्यवाही होनी चाहिए।

खाद्य एवं संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत ने कहा, हमारे आदिवासी विधायक बृहस्पत सिंह ने इनके लिए कुछ बोल दिया था तो सदन में माफी मांगनी पड़ी। ये बोल रहे हैं तो कुछ नहीं! विधायक डॉ. विनय जायसवाल, विनोद चंद्राकर, चंद्रदेव राय, द्वारिकाधीश यादव, कुलदीप जुनेजा, शिशुपाल शोरी, रेखचंद जैन, कुंवर सिंह निषाद और आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने भी अनुशासनहीनता पर कार्यवाही की मांग वाली ऐसी ही बातें कहीं।

चौबे बोले- आहत हैं विधायक, अब फैसला हाई कमान के हाथ

बैठक के बाद पत्रकारों से चर्चा में संसदीय कार्य मंत्री और सरकार के प्रवक्ता रविंद्र चौबे ने कहा, यह बड़ा मामला है। महाराज साहब (टीएस सिंहदेव) ने जिस तरीके से पत्र लिखा है, उस पर अधिकांश विधायकों ने प्रश्न चिन्ह खड़ा किया है। सिंहदेव ने अपने विभाग छोड़ने के जो कारण गिनाए हैं, उसकी वजह से अधिकांश विधायक आहत महसूस कर रहे थे। पुनिया के समक्ष उन्होंने अपनी बातें रखी हैं। चौबे ने कहा, पुनिया जी यहां हाईकमान के प्रतिनिधि हैं, वे वहां अपनी बात रखेंगे। मैं समझता हूं उसके बाद कोई सम्मानजनक हल निकलेगा।

भोज के समय पत्र पर हस्ताक्षर लिए गए

विधायक दल की बैठक खत्म होने के बाद मुख्यमंत्री की ओर से विधायकों को रात्रि भोज दिया गया। इसी दौरान सभी विधायकों के सामने पहले से तैयार एक पत्र आया। इस पर वहां मौजूद विधायकों के हस्ताक्षर लिए गए। बताया जा रहा है, कई लोगों ने पत्र में क्या लिखा है यह पढ़े बिना ही बस हस्ताक्षर कर दिए। बताया जा रहा है कि इसी पत्र को विधायक दल की ओर से हाईकमान को भेजा जाएगा।

विधायक दल की बैठक में नहीं आने पर भी उठे सवाल

बताया जा रहा है, कुछ विधायकों ने टीएस सिंहदेव के विधायक दल की बैठक में नहीं आने पर भी सवाल उठाए। इसे तूल नहीं दिया गया। मुख्य आक्रमण, पत्र की भाषा और अपनी ही सरकार की निर्णयों पर सार्वजनिक सवाल उठाने पर केंद्रित था। टीएस सिंहदेव की ओर से बताया गया, निर्धारित प्रवास कार्यक्रम की वजह से उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव में 18 जुलाई को पहुंचने की जानकारी विधायक दल के सचिव राजेश तिवारी को पहले ही उपलब्ध करवा दिया था।

शनिवार शाम इस्तीफा, रविवार को बनी रणनीति

मंत्री टीएस सिंहदेव ने शनिवार शाम को पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से इस्तीफे की घोषणा की थी। उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को चार पेज का एक पत्र लिखा है। इसमें विभाग में लगातार दखल और उनके प्रस्तावों पर काम नहीं होने की गंभीर शिकायतें हैं। इस पत्र में उन्होंने साफ शब्दों में कहा है कि वे पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के भार से खुद को पृथक कर रहे हैं।

इस पत्र के बाद संगठन और सरकार में एक तरह से सन्नाटा पसरा रहा। रविवार सुबह जैन समाज के एक कार्यक्रम में पहुंचे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि उन्हें पत्र ही नहीं मिला है। पत्र मिले तो उसका परीक्षण कराएंगे। बताया जा रहा है, दोपहर बाद खास विधायकों की बैठक में सिंहदेव के विरोध में हाईकमान को पत्र भेजने की पटकथा तैयार हुई।

प्रदेश में उपरोक्त दोनों मामलों में कोहराम मचा हुआ है और कांग्रेस सरकार द्वारा खुद के ही मंत्री यानी कांग्रेस के वनवास को खत्म करने में अहम भूमिका निभाने वाले मंत्री को भी नही बक्शा जा रहा। तो आम जनता का क्या होगा यह सोचने वाली बात है। वही ऐसे में न्यायप्रिय कांग्रेस सरकार के ऊपर गहरा सवालिया निशान भी उठने लगे है।

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