आईएएस एसडीएम से घबराए सारंगढ़ के कांग्रेसियों ने रायपुर दरबार में गिड़गिड़ा कर व हाथ-पांव जोड़ कर कराया तबादला, नवंबर-दिसंबर में निकाय चुनाव..

Rena jamil ias
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रायपुर/ झारखंड धनबाद जिले के एक छोटे से गांव छाताबाद की रहने वाली रेना जमील 2019 बैच की आईएएस हैं। रेना जमील की छवि बेहद सख्त और ईमानदार अधिकारी की है। इसका नमूना छत्तीसगढ़ के बस्तर में सहायक कलेक्टर रहते हुए लोगों ने देखा भी है। फिलहाल सख्त व ईमानदार छवि ही उनके लिए मुसीबत बन गई है। ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा के साथ काम करने वाली इस आईएएस अफसर को यह सोचने पर विवश कर रहा होगा कि वे छत्तीसगढ़ कैडर चुनकर गलती तो नहीं कर दी? क्योंकि नेता पूरी बेशर्मी के साथ अपने काम को करने में नहीं हिचकते। यही हाल आईएएस रेना जमील के साथ हो रहा है।

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छत्तीसगढ़ सरकार जिस तरह से रेना जमील का स्थानांतरण किया, वह अपने आप में नेताओं की उस मानसिकता को ही दर्शाता है, जो हर परिस्थिति में अधिकारियों को दबाकर रखने में ही विश्वास किया करते हैं। कहने के लिए यह सामान्य प्रशासनिक प्रक्रिया के अंतर्गत ही आता है पर इसके पीछे कितनी राजनीति छिपी होती है, यह सभी जानते हैं। वैसे भी हमारे देश में कानून की लगभग हर समय धज्जियां ही उड़ाई जाती रहती हैं पर किसी ईमानदार अधिकारी के चलते कई बार इसका खुलासा भी हो जाता है और रेना जमील के केस में भी यही हो रहा है।

दरअसल, छत्तीसगढ़ सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने 30 जून को एक आदेश जारी कर भारतीय प्रशासनिक सेवा के वर्ष 2019 बैच के पांच आईएएस अफसरों का प्रशिक्षण पूरा होने के बाद उन्हें पहली पोस्टिंग दी गई थी। इसमें छत्तीसगढ़ बस्तर में बतौर सहायक कलेक्टर काम कर रहीं रेना जमील को रायगढ़ जिले के सारंगढ़ एसडीएम के पद पर पदस्थ किया गया था। छग सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव कलमप्रीत सिंह का आदेश जारी होने के बाद रेना जमील सारंगढ़ एसडीएम का पदभार ग्रहण करने के लिए 3 या 4 जुलाई को ही रायगढ़ पहुंच गई थीं, लेकिन उन्हें ज्वाइनिंग नहीं कराया गया। इसके पहले ही सारंगढ़ के नेताओं ने अपना गणित बैठाना शुरु कर दिया। बताया जा रहा है कि आगामी नपा चुनाव में उन्होंने जीत सुनिश्चित करने के लिए वर्तमान एसडीएम नंदकुमार चौबे को बरकरार रखे जाने की पैरवी की। हद तो तब हो गई जब इस मांग को मान भी लिया गया गया।

इधर रैना जमील ने रायगढ़ ज्वाइनिंग दे दी थी। जीएडी की ओर से न तो पदस्थापना आदेश में संशोधन किया गया और न ही आईएएस अफसर को कार्यभार ग्रहण कराया गया। तब से महिला आईएएस अधिकारी ज्वाइनिंग देकर खामोश बैठी रहीं। इधर तब तक कांग्रेसी अपने मंसूबे पर कामयाब हो गए थे। लिहाजा 12 जुलाई को जीएडी ने एक संशोधित आदेश जारी कर उन्हें जांजगीर चांपा जिले के सक्ती का एसडीएम नियुक्त कर दिया है।

बॉस के दरबार में गिड़गिड़ाएं कांग्रेसी:-

विश्वस्त सूत्रों की माने तो सारंगढ़ एसडीएम नंदकुमार चौबे को बरकरार रखने के लिए कांंग्रेसियों ने पहले तो रायगढ़ कलेक्टर के दरबार में पैरवी की। रायगढ़ कलेक्टर भीम सिंह बेहद ईमानदार व तेज तर्रार माने जाते हैं, लेकिन सत्ता पक्ष के खिलाफ आज तक किसी भी आईएएस या आईपीएस की तेजतर्रारी बौना ही साबित हुई है। वैसे भी सामान्य प्रशासन विभाग का रेना जमील को सारंगढ़ sdm का सीधा आदेश था तो रायगढ़ कलेक्टर के पास पावर ही नहीं था कि वे जीएडी के सचिव के आर्डर पर हस्तक्षेप कर सकें। बावजूद इसके रेना जमील को सारंगढ़ एसडीएम के पद पर ज्वाइनिंग नहीं कराया गया।

किसी ज्ञान बाबा ने कांग्रेसियों को यह पाठ पढ़ाया कि राज्य सरकार के हाथों में ही यह संभव है कि रेना जमील को सारंगढ़ एसडीएम बनने से रोक सकें। फिर क्या, कांग्रेसी रायपुर पहुंच गए। आगामी नवंबर दिसंबर में नगरीय निकाय चुनाव का हवाला देकर गिड़गिड़ाया, तब जाकर मामला बना। इसके बाद रेना जमील के लिए 12 जुलाई को संशोधित आदेश जारी कर दिया गया।

नौ आईएएस वाला जिला रायगढ़ :-

रायगढ़ जिले के इतिहास में यह पहली बार है जब एक साथ इतने आईएएस को यहां जिम्मेदारी दी गई है। कलेक्टर भीमसिंह के अलावा अपर कलेक्टर राजेंद्र कटारा, सीईओ रवि मित्तल, आयुक्त एस जयवर्धन, एसडीएम धरमजयगढ़ संबित मिश्रा, आईएएस रैना जमील, सहायक कलेक्टर रोमा श्रीवास्तव और प्रतीक जैन यहां पदस्थ हैं। अब बताया जा रहा है कि आंध्रप्रदेश कैडर से छग कैडर में शामिल हुई 2018 बैच की आईएएस प्रतिष्ठा मेमगाई को भी रायगढ़ पदस्थापना दी गई है। वे आईएएस संबित मिश्रा की पत्नी हैं। हालांकि कहा जा रहा है कि इन्हें जल्द नई पोस्टिंग दी जाने वाली है।

राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों का जमावड़ा:-

रायगढ़ जिले में केवल आईएएस अफसरों ही नहीं बल्कि राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की भी भीड़ है। तीन साल से अधिक समय से जिले में पदस्थ डिप्टी कलेक्टर और ज्वाइंट कलेक्टरों का तबादला नहीं हुआ। इधर नई पोस्टिंग के तहत रायगढ़ जिले में पहुंच रहे डिप्टी कलेक्टरों को जिम्मेदारी नहीं मिल पा रही है। कुछ ऐसे भी अधिकारी हैं, जो अपना तबादला रुकवाने के लिए पहुंच का बखूबी इस्तेमाल कर रहे हैं। कुछ ने कोर्ट में याचिका भी दी है। घरघोड़ा एसडीएम अशोक मार्बल, सारंगढ़ एसडीएम नंदकुमार चौबे, खरसिया एसडीएम गिरीश रामटेके, अभिषेक गुप्ता समेत कई अफसरों को रायगढ़ जिले में लंबा समय हो चुका है।

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