कोरोना काल में आर्य समाज मंदिर में ज्यादातर पारिवारिक रजामंदी से हो रही शादियां..

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रायपुर/ जिस आर्य समाज मंदिर में युवक-युवतियां लव मैरिज करने के लिए अपने माता-पिता की सहमति के बिना ही फेरे लेने आते थे, वहां इस साल कोरोना महामारी के चलते माता-पिता स्वयं अपनी संतानों को लेकर पहुंचे और विवाह करवाया. पिछले तीन महीने में लव मैरिज के बजाय अरेंज मैरिज की संख्या ज्यादा रही.

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बैजनाथपारा आर्य समाज मंदिर के प्रधान दयाराम वर्मा ने बताया कि कोरोना महामारी के वजह से मार्च, अप्रैल में महीने में बंद रखा था. इसके बाद मई में शासन के विशेष दिशा-निर्देश के मुताबिक खोला गया है. जहां इस महीने लव मैरिज अधिक होती थीं, लेकिन इस बार ऐसा नहीं कि अरेंज मैरिज अधिक हुई है. इसका कारण है कि कोरोना महामारी और शासन के दिशा-निर्देश के मुताबिक शादी में 50 से अधिक लोगों की अनुमति नहीं दी जा रही है. इस वजह से माता-पिता स्वयं अपने बच्चों का विवाह करने के लिए आर्य समाज पहुंचे. उन्होंने बताया कि इस साल मई, जून, जुलाई अभी तक राजधानी में करीब 500 से अधिक शादियां हो चुकी हैं.

शहर के मुख्य बैजनाथपारा आर्य समाज मंदिर में सबसे ज्यादा शादियां हुई हैं. जहां मई में 50, जून में 70, जुलाई 30 शादियां हो चुकी हैं. टिकरापारा स्थित आर्य समाज मंदिर के आचार्य धर्मराज ने बताया कि मई में 10, जून में 51, जुलाई में अभी तक 26 शादियां हो चुकी हैं. साथ ही मरही माता मंदिर, कटोरा तालाब, टाटीबंध स्थित आर्य समाज मंदिरों में 50 से अधिक शादियां हो चुकी हैं.

आर्य समाज के प्रधानों के मुताबिक कोरोना की वजह से शादियां इस बार पारिवारिक रजामंदी की शादियां अधिक हैं, क्योंकि शासन ने शादी-ब्याह में 50 लोगों को अनुमति दिया है. ऐसे में लोग शादी करने के लिए आर्य समाज के मंदिरों की ओर ज्यादा रुख किया है. बता दें कि आमतौर में आर्य समाज मंदिरों में फेरे लेने की संख्या लव मैरिज अधिक रहती है, लेकिन कोरोना की वजह से इस बार माता-पिता भी आर्य समाज मंदिरों में शादी रचना ज्यादा उचित समझा.

शासन ने आर्य समाज मंदिरों में भी शादी के लिए गाइड लाइन जारी किया है. गाइड लाइन के मुताबिक प्रवेश करते ही सैनिटाइजर, मास्क, शारीरिक दूरी का पालन करना पड़ता है. आर्य समाज के प्रधानों के मुताबिक इस दौरान युवक-युवतियां मास्क लगाकर सात फेरे लगाते है. बता दे कि एक शादी में 10 से अधिक लोगों को प्रवेश नहीं दिया जाता है.

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