छत्तीसगढ़ में बढ़ेगी जमीन की कीमत, जुलाई में लागू होंगी गाइडलाइन की नई दरें, अधिक जानकारी के लिए पढ़ें पूरी ख़बर..

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रायपुर/ छत्तीसगढ़ में जमीन की कीमत जल्द ही बढ़ने वाली है। उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार 1 जुलाई से जमीन गाइडलाइन की नई दर लागू होने वाली है। इससे पहले पंजीयन विभाग ने प्रदेश के 33 जिलों में जमीन की प्रचलित दर का सर्वे पूरा कर लिया है।: फिलहाल मूल्य का विश्लेषण जिलेवार और क्षेत्रवार किया जा रहा है। इस काम में पिछले कुछ महीनों में हुई देर की वजह से नई गाइडलाइन जारी करने में विलंब हुआ है। खास बात ये है कि राज्य में आठ साल बाद नई दरें लागू होने जा रहीं हैं।

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किसानों को होगा सबसे अधिक फायदा


नई दरें आने से किसानों को सबसे अधिक फायदा होगा। दरअसल राज्य में सबसे अधिक जमीनें किसानों के पास ही है। किसी भी उपयोग के लिए सरकार द्वारा जो अभी जमीनों का अधिग्रहण किया जा रहा है उसका मुआवजा मौजूदा गाइडलाइन दर पर होता है। जबकि किसानों को रोड से लगी जमीनों की असली कीमत गाइडलाइन से 10-10 गुना तक अधिक है। अब सरकार किसान की जमीन लेगी तो उसे भी नई दरों के हिसाब से मुआवजा देना होगा।

गाइडलाइन दर लागू करने का ये है नियम


छत्तीसगढ़ में जमीनों की गाइडलाइन दर लागू करने के संबंध में नियम है कि हर साल 1 अप्रैल को नई (रिवाइज्ड) गाइडलाइन दर लागू करने का नियम है। राज्य में हुआ ये है कि पूर्ववर्ती कांवोस सरकार ने अपने पांच साल के कार्यकाल में एक बार भी इन दरों में बदलाव नहीं किया। लेकिन इससे पहले भी रमन सरकार के आखिरी पांच साल के कार्यकाल में 2017-18 में भी 1 अप्रैल को गाइडलाइन जारी की गई, लेकिन दर में कोई बदलाव नहीं हुआ। इस हिसाब से देखा जाए तो राज्य में बरसों से जमीन का सरकारी मूल्य यथावत है।

कच्चे का काम होगा बंद


जमीनों के सौदे के मामले में माना जाता है कि अधिकांश बड़ी टाउनशिप, कालोनियों के निर्माण के दौरान बिल्डर गाइडलाइन रेट के बजाय अपने हिसाब से जमीन की कीमत ग्राहक से वसूलते हैं और अंतर की राशि कच्चे में ली जाती है। यानी कम कीमत की जमीन का मूल्य अत्याधिक बढ़ाकर बिल्डर पैसा वसूलते हैं। अब नई दरें आने से इस काम में कमी होगी।

पंजीयन से मिले हैं 2900 करोड़ दूसरे राज्यों से बेहद कम


छत्तीसगढ़ को पंजीयन से पिछले वित्तीय वर्ष में 2900 करोड़ रुपए मिले हैं। लेकिन अगर महाराष्ट्र में देखा जाए तो वहां पंजीयन से सरकार को 40 हजार करोड़ रुपए मिलते है। कर्नाटक में 30 हजार करोड़ रुपए और पड़ोसी मप्र की बात करें तो अकेले इंदौर शहर से 3 हजार करोड़ रुपए मिलते हैं।

मिलेगा अधिक राजस्व


नई दरें लागू होने से सरकार को पंजीयन से मिलने वाले राजस्व में बढ़ोतरी होना तय है। अगर पूरे राज्य में औसत 20 प्रतिशत रेट बढ़ा तो सरकार के खजाने में जाहिर है अधिक राशि आएगी। क्योंकि तब रजिस्ट्री बढ़ी हुई दरों पर होगी। इसके साथ ही पंजीयन में काले धन की अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी।

कीमत बढ़ना तय


पंजीयन विभाग के जानकार सूत्रों का कहना है कि नई गाइडलाइन दर आने के साथ ही पूरे राज्य में जमीन की कीमत कम से कम 10 प्रतिशत 15- या 20 प्रतिशत तक बढ़ सकती है। कुछ खास इलाकों में यह दर 25 प्रतिशत तक भी अधिक होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। जमीनों के मूल्य के सर्वे के दौरान अधिकारियों को मालूम हुआ है कि किस क्षेत्र में जमीन का प्रचलित मूल्य क्या है। इसी आधार पर नए रेट बनेंगे। रायपुर के 50 किलोमीटर के दायरे (रेडियस) में जमीन सबसे अधिक महंगी होने की संभावना है।

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