विधायक बंगला बनाम शिक्षक भर्ती : शिक्षक नहीं, लेकिन विधायकों के बंगले ज़रूरी? एक और पोस्टकार्ड वायरल..

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रायपुर// छत्तीसगढ़ में शिक्षक भर्ती को लेकर नाराजगी की आग अब और तेज होती जा रही है। 57000 पद खाली, फिर भी भर्ती नहीं — ये सवाल अब केवल बीएड और डीएलएड अभ्यर्थियों तक सीमित नहीं रहा। अब ये सवाल पोस्टकार्ड के जरिए सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें सीधे सरकार की प्राथमिकता पर उंगली उठाई गई है।

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पोस्टकार्ड में कहा गया है कि “जब पैसे नहीं हैं तो विधायकों के बंगले कैसे बन रहे हैं?”
यह पोस्ट रायपुर की नहीं, बल्कि धमतरी जिले के कंडेल गांव से आई है — जहां से सुनंदनी साहू नाम की युवती ने लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) को एक खुला पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने मांग की है कि नकटी गांव में बन रही विधायकों की कॉलोनी का बजट रद्द किया जाए और वह राशि शिक्षा विभाग को दी जाए ताकि शिक्षक भर्ती शुरू हो सके।

वायरल पोस्टकार्ड

विधायकों को बंगले बाद में मिलेंगे, बच्चों को शिक्षक अभी चाहिए

पोस्टकार्ड में साफ लिखा है:
विधायकों के लिए विश्रामगृह बनाना जरूरी नहीं, लेकिन बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षक होना बेहद जरूरी है। इस एक लाइन ने सोशल मीडिया पर आग की तरह फैलकर राज्य सरकार की प्राथमिकता पर बहस छेड़ दी है।

सोशल मीडिया पर मिल रहा ज़बरदस्त समर्थन

पोस्ट वायरल होते ही हज़ारों छात्रों और शिक्षकों ने इसे रीपोस्ट और शेयर किया है। ट्विटर से लेकर फेसबुक और इंस्टाग्राम तक, लोग एक ही सवाल पूछ रहे हैं — “57000 पद खाली हैं, फिर भी सरकार को बंगले बनाने की पड़ी है?”

साझा मंच का समर्थन, विपक्ष भी हमलावर

साझा मंच के प्रांतीय संचालक विरेंद्र दुबे ने भी इस मुद्दे पर आवाज़ उठाई है। उन्होंने साफ कहा:
“अगर सरकार को पैसे की कमी है तो विधायक कॉलोनी पर अरबों रुपए क्यों खर्च हो रहे हैं? वो पैसा शिक्षा को क्यों नहीं दिया जा रहा?”

विरेंद्र दुबे ने भाजपा के घोषणा पत्र की याद दिलाई, जिसमें 57000 शिक्षकों की भर्ती और बंद स्कूलों को फिर से खोलने की बात कही गई थी। अब जब सत्ता में भाजपा है, तो शिक्षक भर्ती क्यों रुकी हुई है, ये बड़ा सवाल बन गया है।

मुख्यमंत्री ने किया है वादा, लेकिन ग्राउंड पर सन्नाटा

हालांकि मुख्यमंत्री कुछ दिन पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि चरणबद्ध रूप से शिक्षक भर्ती होगी और पहले चरण में 5000 पद भरे जाएंगे। लेकिन अब अभ्यर्थियों का कहना है कि 5000 की भर्ती 57000 की ज़रूरत का मज़ाक है।

बड़ा सवाल ये है कि—
क्या सरकार को वाकई शिक्षा की चिंता है या केवल सत्ता के आराम की?
वायरल पोस्टकार्ड ने जनता को सोचने पर मजबूर कर दिया है।


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