पहली बार अपने संस्थापक अजीत जोगी के बगैर मैदान में उतरने की तैयारी में JCCJ : अभी 35 सीटों पर ही पार्टी का फोकस..

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रायपुर/ छत्तीसगढ़ के पिछले विधानसभा चुनाव में तीसरी सबसे बड़ी राजनीतिक ताकत बनकर उभरी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ पहली बार अपने संस्थापक अजीत जोगी के बगैर मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है। बदली परिस्थितियों में तय हुआ है कि पार्टी अपने उम्मीदवारों की घोषणा पहले नहीं करेगी। वह भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवार लगभग तय होने के बाद ही अपना पत्ता खोलेगी। सभी सीटाें पर प्रत्याशी उतारने की रणनीति से भी पार्टी बचने की कोशिश में है।

जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी का कहना है, पिछले चुनाव में बहुत जल्दी घोषणापत्र जारी करने और प्रत्याशी उतार देने का कुछ नुकसान हुआ। कई स्थानों पर भाजपा-कांग्रेस का टिकट नहीं मिलने से नाराज लोग संगठन में आये लेकिन वहां पहले से प्रत्याशी घोषित हो चुका था। हमारे घोषणापत्र में शामिल अधिकांश घोषणाओं को दूसरे राजनीतिक दलों ने इस्तेमाल कर लिया। इस बार इससे बचने की कोशिश होगी। घोषणापत्र का शुुरुआती ड्राफ्ट तैयार है।

इसको अपनी यूनिटों को भेज दिया गया है। वहां से चर्चा के बाद इसको अंतिम रूप दिया जाएगा। उसका एक ड्राफ्ट लेकर हम लोग जोगी जन अधिकार यात्रा में भी चलने वाले हैं। इस यात्रा का पहला चरण 6 विधानसभा क्षेत्रों में पूरा हो चुका है। फरवरी से इसका दूसरा चरण शुरू होना है। मार्च तक इसके जरिये 25-30 विधानसभा क्षेत्रों को कवर किया जाएगा। पार्टी का फोकस भी उन सीटों पर ही है जहां पिछले चुनाव में 30 हजार से अधिक वोट आये थे।

परिवार के तीनों सदस्यों ने बांटा मोर्चाजोगी

परिवार के तीनों सदस्यों डॉ. रेणु जोगी, ऋचा जोगी और अमित जोगी के बीच फोकस एरिया बंट चुका है। ऋचा जोगी जांजगीर-चांपा अकलतरा बेल्ट को संभालने के लिए रायपुर से बिलासपुर शिफ्ट हो चुकी हैं। डॉ. रेणु जोगी स्वस्थ हुईं तो वे कोटा-मरवाही का अपना पारंपरिक आधार संभालने पहुंच जाएंगी। अमित जाेगी के जिम्मे शेष क्षेत्र होगा। अमित जाेगी कहते हैं कि उनके रहने से कार्यकर्ताओं की हिम्मत बढ़ी रहती है। लोग भी जोगी परिवार से कनेक्ट होते हैं।बड़ी हार वाली सीटों पर समीकरण देखेंगेजनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के नेताओं का कहना है, प्रदेश की जिन सीटों पर पिछले चुनाव में बड़ी हार मिली है उनसे भी पार्टी बिल्कुल निराश नहीं है। वहां नेताओं-कार्यकर्ताओं को तैयार रहने को कहा गया है। लेकिन वहां की राजनीतिक समीकरणों, राजनीतिक दलों की गतिविधियों, उनके प्रत्याशी आदि की लगातार समीक्षा होती रहेगी। उसी के आधार पर प्रत्याशी उतारने अथवा नहीं उतारने का फैसला होगा।

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