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रायपुर/ चुनाव आते ही प्रदेश में आरक्षण का मुद्दा एक बार फिर गरमा गया है। कांग्रेस और भाजपा एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराने में जुटे हुए हैं। जहां कांग्रेस 76 फीसदी आरक्षण का बिल पासकर कराकर भाजपा पर उसे राजभवन में लटकाने आरोप लगा रही है, वहीं भाजपा भी इस मुद्दे पर कांग्रेस पर जातीय जनगणना को सार्वजनिक नहीं करने का सवाल खड़ा कर रही है। पिछले कुछ महीने से यह मुद्दा दबा हुआ था। चुनावी प्रक्रिया शुरू होते ही दोनों दल के नेताओं ने एक-दूसरे पर दोष मढ़कर मुद्दे को फिर से हवा देना शुरू कर दिया है।
भाजपा नहीं चाहती समाज को हक मिले
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि भाजपा के आरक्षण विरोधी षड्यंत्र पर आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों में छत्तीसगढ़ की जनता उन्हें करारा जवाब देगी। भाजपा नहीं चाहती कि एससी एसटी ओबीसी और सर्वसमाज के ईडब्ल्यूएस को उनका अधिकार मिले।
प्रदेश के पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति और सामान्य वर्ग के गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों को उनका हक दिलाने भूपेश बघेल सरकार ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर आरक्षण बिल पास कराया।
इसके अनुसार अनुसूचित जनजाति के लिए 32 प्रतिशत, अनुसूचित जाति के लिए 13 प्रतिशत, अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 27 प्रतिशत और ईडब्ल्यूएस के लिए 4 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है। छत्तीसगढ़ में राजनीतिक रूप से मुकाबला कर पाने में अक्षम भाजपाइयों के इशारे पर ही यह विधेयक 2 दिसंबर 2022 से आज तक राजभवन में रुका हुआ है।
जातीय जनगणना की रिपोर्ट क्यों दबाई
भाजपा प्रदेश महामंत्री केदार कश्यप ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से पूछा कि जातिगत जनगणना का ढोल पीट रहे हैं लेकिन पहले यह बताएं कि इसकी रिपोर्ट कांग्रेस सार्वजनिक क्यों नहीं कर रही है? कांग्रेस के नेता प्रदेश को इस बात का जवाब भी दें कि प्रदेश की भूपेश सरकार ने जातिगत जनगणना को मापदंड बनाकर सभी वर्गों को टिकट वितरण में कितनी हिस्सेदारी दी है?
कश्यप ने कहा कि क्वांटीफायबल डाटा दबाकर बैठी प्रदेश सरकार ने आरक्षण के नाम पर प्रदेश के आदिवासी, अजा तथा पिछड़े वर्गों के साथ अन्याय किया है। अब कांग्रेस के टिकट वितरण में अपने ही नेता राहुल गांधी को किनारे कर दिया गया है।
मुख्यमंत्री बघेल और कांग्रेस के नेता जातिगत जनगणना को लेकर सलेक्टिव पॉलिटिक्स कर रहे हैं। जातिगत जनगणना का जुमला उछालकर कांग्रेस जनता को बरगलाने का काम कर रही है। यही कांग्रेस का राजनीतिक चरित्र है। कर्नाटक में भी 2013 में कराई गई जातिगत जनगणना को वहां की कांग्रेस सरकार दबाकर बैठी है।
कांग्रेस का प्रदर्शन
- 2 जनवरी 2023 को आरक्षण बिल को रोकने के विरोध में रायपुर में पोस्टर वार छेड़ा।
- 3 जनवरी 2023 को कांग्रेस ने आरक्षण विधेयक को लेकर जन अधिकार रैली निकाली। सभी समाज के लोगों को एकजुट कर कांग्रेस भवन से लेकर राजभवन तक रैली निकाली।
- रैली के बाद 12 मंत्रियों, 5 विधायकों ने राज्यपाल से करीब एक घंटे चर्चा की।
भाजपा के आंदोलन
- 23 नवंबर 2022 को भाजपा के सांसद विधायक, पार्टी के पदाधिकारी एकात्म परिसर दफ्तर से राजभवन पैदल गए। राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा।
- 29 नवंबर 2022 को दोपहर 12 बजे से कोण्डागांव नारायणपुर चौक पर भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा ने चक्काजाम किया।
- 4 जनवरी 2023 को रायपुर के डा. भीमराव आंबेडकर चौक पर धरना दिया।
- क्वांटिफायेबल डाटा को सार्वजनिक नहीं करने और राज्यपाल को नहीं भेजने को लेकर प्रदर्शन किया गया।