अविवाहित बेटी की संपत्ति पर दत्तक पिता का आधिकार नहीं, मां को माना वैध उत्तराधिकारी, हाईकोर्ट ने की याचिका खारिज..

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बिलासपुर// छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने रायगढ़ जिले के पुसौर निवासी खितिभूषण पटेल की उस अपील को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने अपनी दत्तक पुत्री ज्योति पटेल की संपत्ति पर अधिकार जताया था। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि केवल नामिनी होना उत्तराधिकार पाने का आधार नहीं हो सकता। जस्टिस एनके व्यास की एकलपीठ ने कहा कि अविवाहित महिला की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति का वितरण हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 की धारा 15 और 16 के अनुसार ही होगा, जिसमें मां को प्राथमिक उत्तराधिकारी माना गया है।

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क्या है पूरा मामला ?

मामले के अनुसार, खितिभूषण पटेल ने अपने छोटे भाई पंचराम पटेल की पुत्री ज्योति को गोद लिया था। पंचराम की मृत्यु 1999 में सेवाकाल के दौरान हुई थी और उसकी पत्नी फुलकुमारी 1993 में घर छोड़ चुकी थी। इसके बाद ज्योति अपने दादा के पास रही और फिर खितिभूषण ने उसे विधिवत गोद लेकर पालन-पोषण किया। ज्योति को पुलिस विभाग में अनुकंपा नियुक्ति मिली, लेकिन 17 सितंबर 2014 को उसकी मृत्यु अविवाहित अवस्था में हो गई।

ज्योति की बीमा पॉलिसियों और बैंक खातों में खितिभूषण को नामिनी के रूप में नामित किया गया था। इसके आधार पर उन्होंने उसकी संपत्ति पर अधिकार पाने के लिए सिविल न्यायालय में आवेदन दिया, लेकिन वह खारिज हो गया। खितिभूषण ने इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दो टूक कहा कि नामिनी को केवल जमा राशि प्राप्त करने का हक हो सकता है, लेकिन संपत्ति पर अधिकार उत्तराधिकार कानून के अनुसार ही तय होगा।

कोर्ट ने कहा कि मृतका अविवाहित थी और उसके पिता का भी पहले ही निधन हो चुका था, ऐसे में मां ही उसकी एकमात्र वैध उत्तराधिकारी मानी जाएगी। खितिभूषण द्वारा वर्षों तक की गई देखभाल और पालन-पोषण के बावजूद उन्हें कानूनी रूप से उत्तराधिकारी नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखते हुए यह भी कहा कि उत्तराधिकार के मामलों में भावनात्मक पहलुओं की जगह कानून का पालन जरूरी है। इसके साथ ही खितिभूषण की अपील खारिज कर दी गई।

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