बड़ी खबर : जगन्नाथ मंदिर की रथ यात्रा पर सुप्रीम कोर्ट की रोक, 23 जून को होना था आयोजन..

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दिल्ली// सुप्रीम कोर्ट ने 23 जून को ओडिशा में होने वाली जगन्नाथ पुरी वार्षिक रथ यात्रा पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा है कि कोरोना वायरस के मद्देनजर इस रथ यात्रा पर रोक लगाई जा रही है। बता दें कि, रथ यात्रा की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी थीं। 

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ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ यात्रा और उससे जुड़ी गतिविधियों पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। रथयात्रा 23 जून को होनी थी और 10 से 12 लाख लोगों के जमा होने की उम्मीद थी। यह कार्यक्रम करीब 10 दिन तक चलता है जिसपर कोर्ट ने कहा कि लोगों के स्वास्थ्य के लिए यह आदेश ज़रूरी है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ”अगर हम रथयात्रा को अनुमति नहीं देंगे तो भगवान जगन्नाथ हमें इसके लिए माफ कर देंगे।” कोर्ट ने यह भी कहा कि ”भगवान जगन्नाथ का काम कभी नहीं रुकता है.”

रथयात्रा पर पहले से असमंजस की स्थिति बनी हुई थी। इसी बीच, भुवनेश्वर के ओडिशा विकास परिषद एनजीओ ने सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन दायर कर कहा कि रथयात्रा से कोरोना फैलने का खतरा रहेगा। अगर लोगों की सेहत को ध्यान में रखकर कोर्ट दीपावली पर पटाखे जलाने पर रोक लगा सकता है तो रथयात्रा पर रोक क्यों नहीं लगाई जा सकती?

पूरी रथयात्रा की पुरानी फ़ोटो..

रथयात्रा पर पहले से असमंजस की स्थिति बनी हुई थी। इसी बीच, भुवनेश्वर के ओडिशा विकास परिषद एनजीओ ने सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन दायर कर कहा कि रथयात्रा से कोरोना फैलने का खतरा रहेगा। अगर लोगों की सेहत को ध्यान में रखकर कोर्ट दीपावली पर पटाखे जलाने पर रोक लगा सकता है तो रथयात्रा पर रोक क्यों नहीं लगाई जा सकती?

बिना श्रद्धालुओं के रथयात्रा निकालने का फैसला हुआ था
मंदिर समिति ने रथयात्रा को बिना श्रद्धालुओं के धारा-144 लगाकर निकालने का फैसला लिया था। रथ बनाने का काम भी तेज रफ्तार से चल रहा था। मंदिर समिति ने रथ खींचने के लिए कई विकल्पों को सामने रखा था। पुलिसकर्मियों से, मशीनों या हाथियों से रथ को गुंडिचा मंदिर तक ले जाने पर विचार किया जा रहा था।

रथों पर चुनिंदा पुजारियों को बैठाने का भी फैसला हुआ था
मंदिर समिति के सदस्य और पुजारी पंडित श्याम महापात्रा ने भास्कर को बताया था कि लोगों को शामिल किए, चैनलों पर लाइव प्रसारण करके रथयात्रा चुनिंदा लोगों के साथ निकाली जा सकती है। हमने इस बार यह भी तय किया है कि रथों पर भी चुनिंदा पुजारियों को ही बैठने दिया जाएगा।

बता दे कि पुरी में प्रतिवर्ष नौ दिन तक चलने वाले रथयात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा के लकड़ी के बने भारी-भरकम रथों को परंपरागत रूप से दो बार तीन किलोमीटर तक हाथ से खींचा जाता है।

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