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मुंगेली – लोरमी// शासकीय सेवकों पर नियमों की सख्ती के बावजूद लोरमी ब्लॉक में पदस्थ एक शिक्षक द्वारा पद का खुला दुरुपयोग सामने आया है। डिंडोरी शासकीय प्राथमिक शाला में पदस्थ शिक्षक निलेश दुबे पर प्रॉपर्टी डीलिंग, धोखाधड़ी और सत्ता के प्रभाव का दुरुपयोग करने के गंभीर आरोप लगे हैं। जनदर्शन कार्यक्रम में अमित पटेल नामक व्यक्ति ने प्रशासन के समक्ष यह मामला प्रस्तुत किया, जिसमें शिक्षक द्वारा भूमि लेनदेन में गंभीर अनियमितताओं का उल्लेख किया गया है।

पूरा मामला – शिक्षा से अधिक प्रॉपर्टी में रुचि
शिकायत के अनुसार, शिक्षक निलेश दुबे ने जमीन मालिक ऊर्जा रंजन सिन्हा निवासी बिलासपुर वाले से साठगांठ कर 49 एकड़ जमीन की खरीदी बिक्री करने के लिए बिना किसी शासकीय अनुमति के अन्य कई लोगों से लेन देन किया है. वही शिकायतकर्ता अमित पटेल से डेढ़ एकड़ जमीन का सौदा किया और पूरी राशि वसूलने के बावजूद केवल एक एकड़ जमीन का ही कब्ज़ा दिया। शिकायतकर्ता अमित पटेल का दावा है कि यह सुनियोजित धोखाधड़ी है जिसमें शासकीय पद का सीधा दुरुपयोग किया गया है।
जांच के आदेश, लेकिन दबाव की राजनीति शुरू
प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए जनदर्शन में शिकायत दर्ज होते ही जनदर्शन प्रभारी द्वारा एसडीएम लोरमी को मामले की जांच के आदेश दिए, जिस पर तहसीलदार लालपुर ने जांच किया। लेकिन यहीं से शुरू हुई जांच की निष्पक्षता पर सवाल उठने की प्रक्रिया शिकायतकर्ता का आरोप है कि तहसीलदार न केवल उचित कार्रवाई करने में विलंब कर रहे हैं, बल्कि उल्टा उन पर आपसी समझौता करने का दबाव डाल रहे हैं।
प्रशासनिक निष्पक्षता पर सवाल
प्राप्त जानकारी के अनुसार, शिकायतकर्ता अमित पटेल पर यह दबाव बनाया गया कि वह मामले को सुलझा ले, जिससे शिक्षक निलेश दुबे के विरुद्ध विभागीय या कानूनी कार्रवाई से बचा जा सके। अमित पटेल ने इस प्रशासनिक दबाव की जानकारी पुनः जनदर्शन में देकर दूसरी बार शिकायत दर्ज की है। उनका कहना है कि “मैंने पूरी रकम दी, फिर भी आज तक मुझे पूरी ज़मीन नहीं मिली। अब प्रशासन ही दबाव बना रहा है समझौता करने को। न्याय की उम्मीद लेकर मैं दोबारा आया हूँ।”
शिक्षक का पद, मगर व्यापारी जैसी गतिविधियां
शिक्षक जैसे गरिमामय पद पर आसीन व्यक्ति द्वारा बिना शासन की अनुमति के व्यवसायिक गतिविधियों में संलग्न होना छत्तीसगढ़ सिविल सेवा आचरण नियमों का सीधा उल्लंघन है।
शासकीय सेवा में रहते हुए
कोई भी सरकारी कर्मचारी व्यावसायिक गतिविधि नहीं कर सकता संपत्ति क्रय-विक्रय के लिए शासन से पूर्व अनुमति अनिवार्य होती है धोखाधड़ी के आरोप साबित होने पर न केवल विभागीय बल्कि आपराधिक प्रकरण दर्ज हो सकता है अब सवाल उठता है – क्या होगा आगे इस पूरे मामले में सबसे बड़ा सवाल प्रशासन की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर खड़ा होता है। यदि शिकायतकर्ता के आरोप सही हैं, तो तहसीलदार जैसे अधिकारी का पीड़ित पर दबाव बनाना बेहद चिंताजनक है।
जनता की नजर अब इस बात पर टिकी है कि
क्या शिक्षक निलेश दुबे पर विभागीय जांच होगी? क्या धोखाधड़ी के लिए FIR दर्ज की जाएगी? क्या तहसीलदार के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी? क्या शिकायतकर्ता को न्याय मिल पाएगा?
प्रशासन की चुप्पी – कई सवाल अनुत्तरित
अब तक इस मामले पर न तो तहसीलदार लालपुर का कोई आधिकारिक बयान आया है और न ही संबंधित शिक्षक निलेश दुबे की ओर से कोई स्पष्टीकरण प्रशासनिक चुप्पी और कार्रवाई में देरी यह संकेत देती है कि मामला राजनीतिक या प्रभावशाली दबाव में है। ऐसे में यह आवश्यक हो जाता है कि जिला कलेक्टर स्वयं हस्तक्षेप कर निष्पक्ष जांच की दिशा में कड़ा कदम उठाएं, अगर शासकीय सेवा में होते हुए ऐसे मामले सामने आते हैं, तो यह केवल शासन के नियमों का उल्लंघन नहीं बल्कि जनता के विश्वास का भी हनन है। ऐसे मामलों में शीघ्र, सख्त और पारदर्शी कार्रवाई ही प्रशासन की साख बचा सकती है।