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रायपुर// देशभर के सीबीएसई एफिलिएटेड स्कूलों में अब प्री-प्राइमरी से कक्षा पांचवीं तक की पढ़ाई मातृभाषा में कराई जाएगी। इसके अलावा घरेलू या क्षेत्रीय भाषा को भी पढ़ाई का विकल्प बनाया जा सकेगा। सीबीएसई ने 22 मई को इस संबंध में सर्कुलर जारी कर सभी स्कूल प्रबंधन को गंभीरता से पालन करने के निर्देश दिए हैं।
सीबीएसई के अनुसार, छोटे बच्चे अपनी मातृभाषा में सबसे बेहतर तरीके से सीख पाते हैं। घर की भाषा से ही बच्चों की सोचने-समझने की क्षमता, आत्मविश्वास और रचनात्मकता का विकास होता है। ऐसे में स्कूलों को यह सुनिश्चित करना होगा कि प्री-प्राइमरी से लेकर पांचवीं कक्षा तक की पढ़ाई मातृभाषा में हो।
जुलाई 2025 से लागू होगी व्यवस्था
सीबीएसई ने स्कूलों को जुलाई से इस नई व्यवस्था को लागू करने के निर्देश दिए हैं। स्कूल प्रबंधन को इसके लिए रोड मैप तैयार करना होगा और शिक्षकों को भी प्रशिक्षण देना होगा, ताकि बच्चों की शिक्षा सहज और प्रभावी हो सके।
स्कूलों में बनेगी ‘NCF कार्यान्वयन समिति’
सीबीएसई ने निर्देश दिया है कि मई 2025 के अंत तक स्कूलों में ‘NCF Implementation Committee’ बनाई जाए। यह समिति बच्चों की मातृभाषा की पहचान करेगी, भाषा संसाधनों की मैपिंग करेगी और स्थानीय संदर्भों के अनुसार शिक्षण सामग्री विकसित करने का काम करेगी।
सीबीएसई का तर्क
सर्कुलर में कहा गया है कि छोटे बच्चों को अपनी घरेलू भाषा में शिक्षा देने से उनकी समझने की क्षमता बढ़ती है। बच्चों के मानसिक विकास में घर की भाषा एक मजबूत आधार तैयार करती है। इसलिए, शुरुआती शिक्षा के लिए मातृभाषा का उपयोग बच्चे की सीखने की क्षमता को कई गुना बढ़ा सकता है।