सिम्स के कर्मचारी पिछले 19 दिनों से हड़ताल पर, मरीजो सहित पुलिस को हो रही भारी परेशानी..

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बिलासपुर/ सिम्स के कर्मचारी पिछले 19 दिनों से हड़ताल पर हैं जिसकी वजह से CIMS में मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा है। सबसे बड़ी दिक्कत पुलिस को हो रही है। संभाग से बिसरा जांच के लिए आने वाले पुलिस कर्मियों को लौटकर जाना पड़ रहा है। बताया जा रहा है कि अब तक 100 से अधिक बिसरा रिपोर्ट पेंडिंग पड़ी है। इसके साथ ही 23 अगस्त से पुलिस को पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट भी नहीं मिल पा रही है। अब पुलिस अधीक्षक दीपक झा ने कोतवाली पुलिस को इस मामले में डीन से चर्चा करने का निर्देश जारी किया है।

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वेतनवृद्धि और रेगुलराइज करने की मांग को लेकर 23 अगस्त से सिम्स के 316 कर्मचारी हड़ताल पर हैं। जिले भर से आने वाले मरीजों को ऐसे में बिना इलाज के वापस लौटना पड़ रहा है। जो मरीज आ रहे है उन्हें बिना वार्ड बॉय के परिजन खुद डॉक्टर के पास लेकर जा रहे है। ब्लड बैंक में भी अब केवल 40 से 50 ब्लड बैग ही बचे है। CIMS के मौजूदा हालत को लेकर दैनिक भास्कर ने CPRO आरती पांडे से बात करने की कोशिश की लेकिन संपर्क नहीं हो सका।

क्या होता है विसरा

व्यक्ति की संदिग्ध मौत होने या उसे जहर देने की आशंका होने के बाद शव से विसरा प्रिजर्व किया जाता है। डेडबॉडी से कुछ अंगों के बहुत थोड़े हिस्से निकालकर उन्हें केमिकल में रखा जाता है और बाद में उसका एनालिसिस किया जाता है। इसमें किडनी, लीवर, पाचनतंत्र, गुप्तांगों के अंश निकाले जाते हैं। इससे मृत्यु का कारण पता चलने में मदद मिलती है। जहर का प्रकार, मात्रा, मृत्यु का समय, भोजन की स्थिति आदि बहुत सी बातों का विसरा जांच में पता चलता है। पोस्टमार्टम के दौरान डाक्टर विसरा निकालते हैं और इसकी रिपोर्ट देते हैं। यदि किसी विशेष जांच का मामला हो तो विशेष लैब में इसकी प्रोसेसिंग की जाती है।

पुलिस को क्यों जरूरी है विसरा और पीएम रिपोर्ट

पुलिस को अदालत में अपना केस पेश करने के लिए तमाम तरह की रिपोर्ट लगती है। पुलिस जब किसी की मौत को संदिग्ध मानती है या यह बताती है कि उसकी मौत अप्राकृतिक तरीके से हुई है तो उसे डाक्टर की रिपोर्ट केस डायरी के साथ अदालत में पेश करनी पड़ती है। ऐसे में पीएम रिपोर्ट और विसरा रिपोर्ट में विशेषज्ञ जो लिखते हैं वह पुलिस का अपराध साबित करने का सबसे बड़ा सबूत होता है।

हड़ताल से क्या क्या हुआ प्रभावित

केंसर विभाग में मरीजों का बायोप्सी जांच बंद होने के कारण मरीजों का उपचार बंद है ।मरीजों को भटकना पड़ रहा है।

पैथोलॉजी विभाग के अंतर्गत साइटोलॉजी ब्रांच में FNAC जांच के अंतर्गत सम्बन्धित बीमारी के सेल का प्रारम्भिक स्तर पर पता लगाया जाता है। जिसके बाद आवश्यकतानुसार ऑपरेशन का डॉक्टर निर्णय लेते हैं। य़ह जांच 18 दिन से बंद है।

बायोकेमेस्ट्री विभाग में थायरायड, विटामिन डी, विटामिन B12, प्रोलेक्टिन जांच भी 18 दिन से बंद है।

MBBS छात्रों के रिसर्च और प्रैक्टिकल से सम्बन्धित सभी प्रायोगिक लैब बंद है जिसके कारण छात्रों का अध्ययन प्रभावित है।

ब्लड बैंक में 40 से 50 ब्लड बैग ही बचे हैं जिसे आपातकाल में उपयोग करने कहा गया है।
चिकित्सालय के सभी वार्डों और OPD के शौचालय गन्दगी से भरपूर और बदबूदार हो चले है। ठेके के सफाई कर्मी से वार्डों में वार्ड बॉय का कार्य लिया जा रहा है ।

फार्मासिस्ट स्टोर कीपर के हड़ताल में चले जाने के कारण मरीजों को दवा नहीं मिल पा रहा है। मरीज बाहर से खरीदने मजबूर हो रहे हैं।

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