लॉकडाउन में दिव्यांग विद्यार्थी ऑनलाईन कर रहे सुर-साधना, संगीत के लिए लगन ऐसी कि दूर-दराज में भी विद्यार्थी ढूंढ़ लेते हैं नेटवर्क

शेयर करें...

रायपुर/ कोविड-19 महामारी के कारण इस समय पूरा विश्व लॉकडाउन की विषम परिस्थितियों का सामना कर रहा है. कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव और रोकथाम के लिए सभी शिक्षण संस्थाएं बंद हैं. इन परिस्थितियों में समाज कल्याण विभाग द्वारा दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए ऑनलाईन पढ़ाई और रचनात्मक गतिविधियां संचालित कर समय का सदुपयोग कराया जा रहा जा रहा है. विभाग द्वारा राजधानी रायपुर के माना में संचालित शासकीय दिव्यांग महाविद्यालय द्वारा नवाचार करते हुए नेत्रहीन और अस्थिबाधित विद्यार्थियों के लिए ऑनलाईन संगीत प्रशिक्षण कक्षाएं चलाई जा रही हैं. अपने-अपने घरों में रहते हुए बच्चे शिक्षकों की मदद से विडियों कॉल, ऑडियो कॉल, कॉन्फ्रेंस कॉल के माध्यम से गायन, वादन कर सुर-साधना कर रहे हैं. इससे विद्याथियों की न सिर्फ पढ़ाई सुचारू रूप से चल रही है बल्कि वे व्यस्त रहकर मानसिक रूप से मजबूत हो रहे हैं.

Join WhatsApp Group Click Here


महाविद्यालय की प्राचार्य शिखा वर्मा ने बताया कि महाविद्यालय इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ से मान्यता प्राप्त हैं. यह छत्तीसगढ़ का एकमात्र दिव्यांग महाविद्यालय है जहां दृष्टिबाधित, अस्थिबाधित बच्चे शास्त्रीय गायन और तबला बादन तथा मूक-बधिर चित्रकला की विधिवत शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं. ये बच्चे छत्तीसगढ़ के विभिन्न क्षेत्रों में निवास करते हैं. महाविद्यालय के शिक्षक लाल राम लोनिया और गौरव पटेल द्वारा निरन्तर मोबाईल के माध्यम से ऑनलाईन अध्यापन कार्य कराया जा रहा है.

उन्होंने बताया कि अधिकांश बच्चे ग्रामीण क्षेत्रों से होने के कारण इनको अधिकतर नेटवर्किंग की समस्याओं का सामना करना पडता है, इसके बावजूद उनमें संगीत सीखने के प्रति इतनी लगन है कि नेटवर्क ढूंढ वाला स्थान ढूंढ लेते हैं. कोण्डागांव जिले के बी.पी.ए. छटवें सेमेस्टर के दृष्टिबाधित विद्यार्थी अनिल मंडावी को अक्सर नेटवर्क की समस्या होती है, लेकिन वह गांव में आस-पास नेटवर्क क्षेत्र में जा कर अपनी गायन की शिक्षा ग्रहण करते हैं. इसी प्रकार कांकेर जिले के भानुप्रतापपुर डोंगरकहां की रहने वाली उमलेश्वरी दर्रो अपनी पढ़ाई घर के छत पर, तो कभी आंगन में जाकर पूरी कर ही लेती हैं. संगीत शिक्षा के प्रति बच्चे बहुत ही सजग हैं और रूचि से सीख रहे है, इसके कारण महाविद्यालय के शिक्षकगण भी विद्यार्थियों के परिस्थिति और समय अनुरूप उन्हें गायन, वादन की शिक्षा दे रहे हैं. दिव्यांग महाविद्यालय के बच्चों ने यह साबित कर दिखाया है कि यदि आपमें किसी भी कार्य को करने की लगन, दृढ़ इच्छा शक्ति हो तो कोई भी कार्य असम्भव नहीं हैं.

Scroll to Top