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जशपुर// भलेही सरकार और समाज के लोग लाख ढकोसला कर ले पर कोरोना वाइरस से पीड़ित व्यक्ति की मनः स्थिति को कोई नही समझ पाएगा। हम रोज अपने मोबाइल के कॉलर ट्यून में सुनते है कि “कोरोना से लड़ें, कोरोना पीड़ित व्यक्ति से नही…” पर क्या सच मे ऐसा हो रहा है..? नही, यह सब फॉर्मेलिटी मात्र ही है। यही सब बात बगीचा निवासी कोरोना पीड़ित युवक ने अपने फेसबुक के माध्यम से बताया है जिसको पढ़ आप भी निःशब्द हो जाएंगे। आप भी पढ़िए उसकी मार्मिक लाइन..
मै …….. अब खुद को मैंने covid-19 में positive पाया तो, जीवन के सारे अच्छे बुरे यादों का समूह आंखो मै छाने लगा। दिल की धड़कने रुक रुक कर चलने लगी। यू कहूं तो मृत्यु धीरे धीरे मेरे समीप आती हुई नजर आई।। फिर क्या कंधे पर पापा के भरोसे वाला एक हाथ और लड़खड़ाते हुवे शब्दों में हिम्मत रखने की बात कहते रहे और ठीक इसी बीच मां की आंखो से बहती हुई आंसु की धारा को देख कर हृदय अलग तरह से ही कंपन करने लगता है। जी करता है उनके चेहरे से आंसू पोछ लूं। लेकिन विवशता देखो मेरी उन्हें छु भी नहीं सकता छूत वाली बीमारी जो हो गई है। मां की पीड़ा देख जोर जोर से रोने का दिल करता लेकिन रो भी नही सकते मां टूट जाएगी ना। गले के पास एक अजीब सा घुटन महसूस होने लगता, और फिर भी किसी प्रकार से इनसे होकर गुजर गया तो समाज के लोगो का छूत वाले इस मरीज के प्रति हिन्न भावना रखते हुवे मेरे और मेरे परिवार को #_thetharai की संज्ञा दी
बगीचा में रहने वाले सभी माननीय जन समुदाय।।।
जिनकी आंखो में मै खटक रहा (#@@@@@’ #$$$%%’ और #_$$$$$$$) उनसे एक बात कहना चाहता हूं ।।।कुछ लोगों ने मुझे बाज़ार में देखा ! कुछ लोगों ने मुझे दुकान में देखा ! कुछ लोगों ने मुझे अपने दोस्तो के साथ नगर में घूमते देखा!
आपसे निवेदन है, मै किस दुकान में गया। वे कौन दोस्त थे।।। वो कुछ लोग कौन है वे सामने क्यों नही आते।।।
झूठी अफवाहों को published करने वाले । घर पे बैठ कर बेबुनियादी तथ्यों के आधार पर दूसरों की गरिमा में हस्तक्षेप ना करे, मेरे ऊपर आरोप लगा कर facebook और पत्रिका में publicly मेरे और मेरे पिता जी के गरिमा में सवाल उठाने वाले reporter’s, मै 4 दिन बगीचा में रहा, और उन 4 दिनों में 4 घंटे भी अपने पापा को घर में नहीं देखा, दोपहर का खाना उन्होंने किसी रोज किया नहीं 9 से 9 बजे तक Covid-19 test करने अलग अलग नगर जाते रहे और उनके साथ जाने वाले माननीय डॉक्टर और नर्स की परिस्थितियों का तुम घर बैठे क्या अवलोकन करने योग्य भी नहीं हो और उनके उपर irresponsible का आरोप लगाते हुवे तुम्हे शर्म की अनुभूति तो होनी ही चाहिए, पता नहीं मै घर लौट कर आऊंगा भी या नहीं!लेकिन एक बात कहूंगा मै अपने घर से 10-12 कदम की दूरी से कहीं नहीं गया।।यही मेरी एक मात्र गलती है जिसके लिए मै आज hospital में addmit हूं।।।
किसी मरीज के प्रती प्रेम भावना नहीं रख सकते तो उनके अंदर के आत्म-सम्मान को ठेस मत पहुंचाए की वो उस रोग से पहले आपके बोली और आरोपो से टूट कर बिखर जाए!
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