शेयर करें...
रायगढ़// कोरोना संकट के इस समय मे सब अपने अपने घरों में कैद होने पर मजबूर है। ऐसे में सबका हुनर निखरकर सामने आ रहा है। रायगढ़ जिले में एक कलमकार जयलाल कलेत भी है जो समय समय पर अपनी कविताओं के माध्यम से लोगो को जागरूक करते रहते है। इस बार उन्होंने अपने कलम की ताकत से उन लोगों को करारा जवाब दिया है जो लोग औरों की खुशी पर स्वयं दुखी हो जाते हैं। उनका उपहास करते हैं कर दुसरो को नीचा दिखाकर स्वयं श्रेष्ठ बनने की प्रयास करते हैं। इस कविता का शीर्षक उन्होंने “तुम जलते रहो” दिया है। पढ़िए उनकी यह कविता..
“तुम जलते रहो”
वो खूब हंसी उड़ाते हैं, मुझको छोटा जताते हैं,
लोग उतनी ही मजबूती से, खामियां मेरी बताते हैं।पर कोई भी मौसम हो, बागों में फूल महकते हैं,
लोग नजरों से गिराते हैं, हम सितारों सा चमकते हैं।मेरे हरेक पर पर, लोग शूल ही बिछाते हैं,
पर कांटों से तो यारी हमारी, ज़ख्म कहां पहुंचाते हैं।झूठ फरेब के हथियारों से, ज़ख्म हमें पहुंचाते हैं,
ज़ख्म से मेरी यारी देख, दुश्मन भी इतराते हैं।राहों पर मैं गिर जाऊं, ऐसे गड्ढे बनाते हैं,
मैं तो बच निकलता हूं, पर खुद वहीं गिर जाते हैं।मेरी मायूसी को देख, जश्न खूब मनाते हैं,
औरों की खुशियां देख, बेचैन सा हो जाते है।जयलाल कलेत
रायगढ़ छत्तीसगढ़
Owner/Publisher/Editor