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कोरबा/(जे.पी अग्रवाल बिलासपुर) //एक ओर जहां पूरे ओर प्रदेश में हाथियों की स्थिति लगातार गम्भीर बनी हुई है और अलग-अलग क्षेत्रो में हाथियों के मौत का मामला सामने आया है लेकिन इसी बीच कोरबा मुख्यालय से 60 किलोमीटर दूर कथराडेरा बस्ती में वन विभाग और डॉक्टर्स की टीम द्वारा घायल नर हाथी का इलाज़ पूरे सक्रियता और सजगता से किया जा रहा है. वन विभाग और डॉक्टरों की टीम द्वारा किया जा रहा यह कार्य पूरे प्रदेश में सराहनीय है.
आप को बता दे कि 14 जून को कुदमुरा परिक्षेत्र के गुरमा बीट अंतर्गत आने वाले कथराडेरा निवासी ध्वजाराम के घर में एक हाथी घुस आया और बीमार होने की वजह से आँगन में वह गिर गया, बार बार प्रयास करने के बावजूद भी फिर खड़ा होने में वह समर्थ रहा. हाथी की गंभीर होने की सुचना वन विभाग को प्राप्त होते ही वन मंडलाधिकारी मौके में उपस्थित हुए और उन्होंने गंभीर हालत में गिरे हाथी की जान को बचाने के लिए पशु चिकित्सकों को तुरंत बुलाया. जिसके बाद घटना स्थल पर पहुचे पशु चिकित्सकों द्वारा आवश्यक दवाइयां दी गयी और रात तक रायपुर बिलासपुर रायगढ़ से वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट के डॉक्टर और CCF बिलासपुर अनिल सोनी भी पहुँचे और जान बचाने की जिम्मेदारी ली.
बता दे कि उस समय हाथी को तेज बुखार था. उपचार के बाद उसका बुखार कम हुआ और अगले दिन तापमान सामान्य रहा. हाथी को फ्लूइड थेरेपी दी गयी. हाथी को पुनः खड़ा करने का प्रयास किया गया परंतु वह फिर भी खड़े होने में असफल रहा. अगले दिन हाथी के गोबर और ब्लड का सैंपल जांच के लिए बिलासपुर भेजा गया. जांच में उसके गोबर में भारी मात्रा में राउंड वर्म्स भी निकले और उसके गोबर को जांच हेतु बिलासपुर भेजा गया जहाँ राउंड वर्म्स के अण्डे होने की पुष्टि हुई जिसके बाद डीवॉर्मिंग किया जाने लगा जिससे 2 दिन बाद हाथी के गोबर में वर्म्स मरे हुए निकले.
सोये हुए अवस्था में होने के कारण हाथी शरीर के अनुपात में बहुत ही कम भोजन कर रहा है. भोजन की कमी को दूर करने फ्लूइड थेरेपी और सप्पलीमेंट थेरपी दी जा रही है और एन्टीबायोटिक थेरपी दी जा रही है. कथराडेरा कोरबा से 60 किलोमीटर दूर होने से आवश्यक सामग्री तयस्थान में पहुंचने में देरी होती है. पिछले 4 दिनों से लगातार भारी बारिश के बीच इलाज़ किया जा रहा है. बारिश और हाथी द्वारा किसी भी तरह का शाररिक कसरत न करने के कारण हाथी के शरीर में काफी उतार चढ़ाव हो रहा है.
19 जून को दिन भर भारी बारिश के कारण एक समय हाथी का तापमान 94 डिग्री पहुंच गया था उसके तुरंत बाद उपचार दिया गया गर्मी के लिए अलाव जलाये गए और पैरे से शरीर की मालिश की गयी और पैरा का कम्बल बना कर उढ़ाया गया जिससे 20 जून को सुबह हाथी का तापमान 99 डिग्री सामान्य हो गया. फ्लूइड और सप्लीमेंट थेरपी में निर्भर होने के कारण शरीर भी प्रभावित होने लगा है.
आपको बता दे कि इस उम्र के हाथी के लिए एक दिन में औसत 100 लीटर पानी की आवश्यकता हैं और 60 kg भोजन करता है. अतः डॉक्टर्स द्वारा हाथी को पाइप से पानी पिला रहे है और साथ ही रेक्टम के द्वारा भी हाथी के शरीर में पानी पहुंचाया जा रहा है. हाथी को अपने शरीर की आवश्यकता की पूर्ति के लिए उसे अपने पैरों पर खड़ा होना बहुत आवश्यक हो गया है.
बता दे कि वनमण्डलाधिकारी गुरुनाथन व बेंगलुरु और रायपुर से डॉक्टर राकेश वर्मा, डॉक्टर प्रयाग डॉक्टर अरुण और डॉक्टर खूंटे की पूरी टीम हाथी को स्वस्थ करने के लिए दिन रात जुटी हुई है.
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