विशेष : छत्तीसगढ़िया विद्यामितान शिक्षकों की गुहार, सुनो सरकार…

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रायपुर// अब आषाढ़ भी लग चुका है, और बरसात चालू हो गया है ऐसे में विद्यामितान अतिथि शिक्षकों के लिए “दुब्बर बर दु असाढ़” की कहावत चरितार्थ होने लगी है।

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वर्तमान में विषम परिस्थितियों से जूझते एक विद्या मितान शिक्षक लिखते हैं…

आगे आषाढ़ गिरत हे पानी, चूहत हे घर के छानही, बिन वेतन छत्तीसगढ़िया विद्यामितान कैसे बदले अपन टीना के छानही..

बात सिर्फ बरसात की नहीं है, जब से कोरोना महामारी आया है तब से हर रसद वस्तु जैसे तेल, दाल के दाम दुगने हो गए हैं, माता-पिता के बीमारी बीपी शुगर की दवाई बच्चों के लिए मिठाई (खऊना) दुभर हो गया है। 2 साल से किसी भी तीज त्यौहार में परिवार के एक भी सदस्य के लिए कपड़े ना खरीद पाने की लाचारी बानी हुई है।

पूरे छत्तीसगढ़ में जब से कोरोना काल आया है लगभग डेढ़ साल से किसी भी शिक्षक चाहे वह सरकारी हो या प्राइवेट सब को किसी भी प्रक्रिया से नियुक्त, शिक्षकों को वेतन निर्बाध रूप से मिल रहा है परंतु छत्तीसगढ़ के विद्यामितान शिक्षक जो सरकारी उच्च माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शाला में अध्यापन का कार्य कर रहे है उनका वेतन कोरोना महामारी ने निगल लिया है वहीं अधिकारियों के पास जाने पर तकनीकी दिक्कत बताया जाता है ।

एक ओर भूपेश सरकार राशन फ्री में दे रही है वहीं इन शिक्षकों को मूलभूत सुविधा, माता-पिता की चिकित्सा, दवाएं, बच्चों के लिए कुछ खाने की वस्तु, मकान का किराया, बिजली बिल पटाने की असमर्थता इनके पीड़ा को सहज ही व्यक्त करती है।

सरकार ने प्रमुखता से अपने घोषणा पत्र में इनकी नियमितीकरण का वादा किया। चुनाव के बाद सभी प्रमुख मंत्री एवं विधायकों ने वादा पूरी करने की बात भी कही लेकिन महामारी के दौर में इनकी आर्थिक स्थिति खराब हो गई है और ये सब कर्जदार हो गए हैं ।

पूर्व में भी ऑनलाइन क्लास लगाए गए परंतु यह गणित, अंग्रेजी, विज्ञान, रसायन, भौतिकी आदि के मुख्य विषय के शिक्षक होने पर भी इनके स्कूलों में जो बच्चे अध्यापन कर रहे थे उन्हें शिक्षण से वंचित रखा गया, उनके ज्ञान का विकास नहीं हो पाया। कोरोना महामारी का खामियाजा विद्या मितान शिक्षकों के साथ-साथ इनके कार्यरत बीहड़ व दुरस्थ अंचल की शालाओं के अध्ययनरत छात्रों को भी विषय ज्ञान से वंचित होकर चुकाना पड़ा है क्योंकि मुख्य विषय की पढ़ाई तो इनके बगैर हुई ही नहीं। भले ही सरकार कुछ भी कहले वास्तविकता यही है कि जब विषय शिक्षक नहीं पढ़ाएंगे तो कौन पढ़ाएगा।

विद्यामितान शिक्षक (अतिथि शिक्षक)

2016 में सरकार के द्वारा एक प्लेसमेंट एजेंसी के माध्यम से संबंधित जिलों के जिला स्वरोजगार एवं मार्गदर्शन केंद्रों में तय योग्यता स्नातकोत्तर द्वितीय श्रेणी और बी. एड. प्रशिक्षित मूल छत्तीसगढ़ के निवासी युवाओं की नियुक्ति इंटरव्यू के माध्यम से मेरिट आधार पर की गयी थी।

शुरुवात में इनकी संख्या 1763 थी फ़िर इनके बेहतर परिणामों को देखते हुए 2017 में और ज्यादा संख्या में इनकी नियुक्ति छत्तीसगढ़ के सुदूर वनांचल क्षेत्रों में शिक्षकों की पूर्ति के लिए किया गया तब इनकी संख्या लगभग 6 हजार हो गयी!

2018 विधानसभा चुनाव पूर्व विद्यामितान शिक्षकों के नियमितीकरण हेतु हुए आंदोलन में तत्कालीन विपक्ष की भूमिका निभा रहे कांग्रेस के तमाम नेताओं ने इनके नियमितीकरण की मांग को जायज ठहराते हुए! छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने पर नियमितीकरण करने का आश्वासन दिया था_ तब इनकी संख्या 2516 हो गयी थी_ तत्पश्चात कांग्रेस सरकार आने के बाद विविध कारणों से सीटों की कमी होने से इन शिक्षकों की संख्या 2220 के आसपास सिमट के रह गयी है_

कोरोना संकट के दौर में गत दो ढाई वर्षों से ये शिक्षक अपने आजीविका के संकट से जूझ रहे हैं! बावजूद इसके सरकार एक ओर अंग्रेजी माध्यम स्कूलों के शिक्षकों को विद्यामितानों से दो ढाई गुना अधिक वेतन पर कोरोना संकट के बावजूद वेतन भुगतान कर कार्य उपलब्ध करा रही, वहीं दूसरी ओर अपातकाल में सरकार के साथ कंधे से कंधा मिला कर बीहड़, दुर्गम, आभावग्रस्त क्षेत्रों की शैक्षिक गुणवत्ता बढ़ाने वाले विद्यामितान आज अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ सरकार को चाहिए की इनकी दयनीय दशा का ख्याल रखते हुए, अपने चुनावी घोषणा पत्र के पेज 35 अंतिम लाइन में किये *#विद्यामिताननियमितीकरण* के वादे को अविलंब पुरा करते हुए विद्यामितान शिक्षकों को भी समाज में सम्मानपूर्वक जीवन जीने का अवसर प्रदान करना चाहिए!

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