JCCJ की एंट्री से कोटा, मस्तूरी, बिल्हा, तखतपुर में त्रिकोणीय मुकाबले के आसार, बिलासपुर में चुनावी समीकरण बिगाड़ सकते हैं ‍‍भाजपा-कांग्रेस के बागी.. पढ़ें पूरी ख़बर..

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बिलासपुर/ बिलासपुर में टिकट वितरण से नाराज भाजपा-कांग्रेस के बागी प्रत्याशी यहां चुनावी समीकरण बिगाड़ सकते हैं। दोनों ही पार्टी के बागी नेताओं के जोगी कांग्रेस प्रत्याशी तय होने के बाद कोटा, मस्तूरी, बिल्हा, तखतपुर में त्रिकोणीय मुकाबला हो गया है। पार्टी में सारी कवायदों के बाद भी बागियों की नाराजगी कम नहीं हो रही। यही वजह है कि दोनों दलों के नेताओं पर जोगी कांग्रेस की नजर है। उन्हें पार्टी से टिकट का ऑफर दिया जा रहा है।

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भाजपा ने इस बार बेलतरा विधानसभा सीट पर छात्र नेता रहे युवा नेता सुशांत शुक्ला को अपना कैंडिडेट घोषित किया है। इसके साथ ही अविभाजित बिलासपुर जिले की 9 सीटों पर चेहरे तय हो गए। यहां से पार्टी के विधायक रजनीश सिंह का टिकट काटा गया। जिससे नाराज समर्थकों ने पार्टी से किनारा कर लिया। इनमें से चार से पांच सीटों पर कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला हो सकता है।

बिलासपुर में अमर-शैलेष के बीच सीधा मुकाबला

जिले की सबसे हॉट सीट पर एक बार फिर से भाजपा से पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल और कांग्रेस से विधायक शैलेष पांडेय आमने-सामने हैं। यहां दोनों के बीच सीधा मुकाबला होगा। हालांकि आम आदमी पार्टी और जोगी कांग्रेस के भी दावेदार मैदान पर नजर आएंगे।

फिर भी यह माना जा रहा है कि यहां भाजपा और कांग्रेस के बीच टक्कर रहेगी। यह भी संभावना है कि आम आदमी पार्टी और जोगी कांग्रेस के प्रत्याशी के वोट परसेंट का समीकरण का सीधा असर कांग्रेस प्रत्याशी पर दिखेगा।

सुशांत शुक्ला की राह आसान नहीं

बेलतरा विधानसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार सुशांत शुक्ला का राह आसान नहीं है। सुशांत शुक्ला पहली बार चुनाव मैदान पर है। प्रत्याशी बनाए जाने के बाद एक तरफ युवाओं में उत्साह है तो दूसरी तरफ क्षेत्र के विधायक रजनीश सिंह और उनके समर्थक नाराज हैं और पार्टी से किनारा कर लिया है।

वहीं, टिकट की रेस में शामिल विजयधर दीवान भी खुश नहीं है, जिससे उनके समर्थक भी सुशांत के लिए खुलकर सामने नहीं आ रहे हैं। हालांकि, यहां विरोध खुलकर सामने नहीं आया। सबसे आखिरी में टिकट घोषित होने के बाद यहां नए दावेदार को रणनीति बनाने और तैयारी करने में भी वक्त लगेगा। लेकिन, संगठन के पदाधिकारी और रूठे हुए नेताओं की चुप्पी से सुशांत शुक्ला के लिए राह आसान नहीं होगा। यहां संगठन पदाधिकारियों को कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी।

मस्तूरी में बांधी की बढ़ सकती है मुश्किलें

अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित मस्तूरी विधानसभा क्षेत्र में भाजपा की ओर से बगावत खुलकर सामने आ गया है। पूर्व सांसद कमला पाटले की बेटी और जिला पंचायत सदस्य चांदनी भारद्वाज ने भाजपा से इस्तीफा देकर जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ की सदस्यता ग्रहण कर ली। वह अब जोगी कांग्रेस से मस्तूरी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में होंगी। यहां बसपा से दाऊराम रत्नाकर पहले से ही मैदान पर है। अब चांदनी भारद्वाज के आने के बाद भाजपा प्रत्याशी डॉ. कृष्णमूर्ति बांधी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

भाजपा में पहली बार दिखा बगावती तेवर

आमतौर पर लोगों के मन में यह धारणा रही है कि भाजपा के नेता और कार्यकर्ता अनुशासित रहते हैं और पार्टी में खुलकर विरोध करने से बचते हैं। यहां कभी कोई गुटबाजी करने की हिम्मत भी नहीं दिखाते। लेकिन, यह पहला मौका है, जब प्रत्याशियों की घोषणा होने के बाद संगठन के पदाधिकारी से लेकर संभावित दावेदार बगावती तेवर दिखा रहे हैं। जिसके कारण भाजपा के रणनीतिकार भी बगावत के सुर को दबाने का प्रयास कर रहे हैं।

कांग्रेस से नाराज दावेदारों ने थामा जोगी कांग्रेस का दामन

सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस में पार्टी में गुटबाजी और भीतरघात करने की परंपरा नई नहीं है। हमेशा से असंतुष्ट नेता कांग्रेस प्रत्याशियों की खिलाफत करते रहे हैं। ज्यादातर सीटों पर वही स्थिति बन रही है। बिल्हा विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेसी रणनीतिकारों को दोतरफा नाराजगी झेलनी पड़ रही है। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में बिल्हा सीट से पराजित प्रत्याशी राजेंद्र शुक्ला की जगह जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ से कांग्रेस में आने वाले पूर्व विधायक सियाराम कौशिक को प्रत्याशी बनाया है।

राजेंद्र की नाराजगी भी अब सार्वजनिक होने लगी है। राजेंद्र के साथ ही एक और प्रबल दावेदार छत्तीसगढ़ श्रम कल्याण मंडल की सदस्य, मुंगेली जिला प्रंचायत की सभापति अंबालिका साहू ने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। अंबालिका ने कांग्रेस पर उपेक्षा का आरोप लगाते हुए भाजपा जॉइन कर ली ।

वहीं, जोगी कांग्रेस ने यहां मस्तूरी के कांग्रेस नेता व पूर्व विधायक दिलीप लहरिया की बहू नेहा भारती को टिकट दिया। अविभाजित मुंगेली जिले की लोरमी सीट पर भी यही स्थिति बन गई है। यहां कांग्रेस ने थानेश्वर साहू को उम्मीदवार बनाया है। जिसके बाद मुंगेली जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सागर सिंह बैस ने इस्तीफा देकर जोगी कांग्रेस से नाता जोड़ लिया है और विधानसभा में दावेदार बनकर मुकाबले को त्रिकाणीय बना दिया। मुंगेली सीट पर भी कांग्रेस ने नए चेहरे संजीत बनर्जी पर भरोसा जताया, जिसके बाद यहां कांग्रेसी दावेदारों में फूट पड़ गई।

नाराज त्रिलोक श्रीवास पर है सबकी नजर

बेलतरा विधानसभा सीट से कांग्रेस के दावेदार त्रिलोक श्रीवास और उनके समर्थकों की नाराजगी भी अब खुलकर सामने आ गई। कार्यकर्ताओं ने साफ तौर पर प्रत्याशी बदलने की चेतावनी दी है। ऐसा नहीं होने पर त्रिलोक श्रीवास को निर्दलीय चुनाव मैदान पर उतारने की तैयारी है। हालांकि, यह भी कहा जा रहा है कि त्रिलोक श्रीवास जोगी कांग्रेस में शामिल होकर चुनाव लड़ सकते हैं।

बेलतरा सीट पर कब्जा करने के लिए अब कांग्रेस के दिग्गज त्रिलोक श्रीवास को मनाने में जुट गए हैं। यहां जोगी कांग्रेस से दावेदार का नाम सामने नहीं आया है। जोगी कांग्रेस के उम्मीदवार के आने से मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है।

तखतपुर विधानसभा में भाजपा से धर्मजीत को प्रत्याशी बनाए जाने से पहले ही भाजपा नेत्री और हर्षिता पांडेय के समर्थकों ने विरोध शुरू कर दिया था। हालांकि, टिकट की घोषणा के बाद विरोध ठंडा पड़ गया है। लेकिन, अंदरूनी नाराजगी चुनाव में दिखने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।

दूसरी तरफ यहां कांग्रेस ने संसदीय सचिव रश्मि सिंह को टिकट दिया है। जबकि, जोगी कांग्रेस से आए संतोष कौशिक भी दावेदारी कर रहे थे। टिकट नहीं मिलने के बाद अब संतोष कौशिक की भूमिका पर यहां सबकी नजरें टिकी हुई थी। जोगी कांग्रेस ने तखतपुर सीट पर जातिगत वोट बैंक को साधने के लिए दिनेश कौशिक को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। दिनेश कौशिक पहले भाजपा और बाद में बसपा में शामिल हो गए थे। वहीं, अब वह संतोष कौशिक के समर्थक रहे हैं, जिसका फायदा उन्हें मिल सकता है। ​

कोटा सीट पर भी त्रिकोणीय होगा मुकाबला

कोटा विधानसभा सीट पर आजादी के बाद 2018 के चुनाव में कांग्रेस से अलग होकर पहली बार जोगी कांग्रेस ने अपना खाता खोला था। यहां त्रिकोणीय मुकाबले में कांग्रेस प्रत्याशी तीसरे नंबर पर रहे। इस बार भाजपा ने दिलीप सिंह जूदेव के बेटे को प्रत्याशी बनाया है।

वहीं, कांग्रेस से पर्यटन मंडल के अध्यक्ष अटल श्रीवास्तव चुनाव मैदान पर हैं। विधायक डॉ. रेणु जोगी ने फिर से नामांकन पत्र लिया है। ऐसे में पिछली बार की तरह इस बार भी त्रिकोणीय मुकाबला होने की बात कही जा रही है।

मरवाही में कांग्रेस को भीतरघात का डर

अविभाजित बिलासपुर और गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले की मरवाही विधानसभा सीट से कांग्रेस ने विधायक डॉ. के के ध्रुव को टिकट दिया है, जिसके बाद से यहां विरोध के स्वर उठने लगे हैं। जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष उत्तम वासुदेव सहित अन्य दावेदारों ने उनके नाम का विरोध शुरू कर दिया । साथ ही उपचुनाव जीत कर विधायक बने डॉ. केके ध्रुव पर निष्क्रियता के आरोप लग रहे हैं।

इस सीट पर भाजपा ने दो बार से सरपंच रहे प्रणव मणपच्ची को उम्मीदवार बनाया है। यहां मणपच्ची के नाम का विरोध हुआ था। ऐसे में यहां कांग्रेस और भाजपा दोनों ही प्रत्याशियों को भीतरघात होने का डर है। वहीं, मरवाही में भी जोगी कांग्रेस के प्रत्याशी तय होने के बाद से त्रिकोणीय मुकाबले के आसार हैं।

जोगी कांग्रेस की है भाजपा-कांग्रेस के असंतुष्टों पर नजर

बिलासपुर ही नहीं प्रदेश के ज्यादातर हाईप्रोफाइल सीटों पर जोगी कांग्रेस की नजर है। कांग्रेस की टिकट फाइनल होने के बाद से लगातार असंतुष्ट दावेदारों के जोगी कांग्रेस में शामिल होने का सिलसिला चल रहा है।

भाजपा से भी टिकट नहीं मिलने पर नेता जोगी कांग्रेस की तरफ रूख कर चुनाव में अपना भाग्य आजमा रहे हैं। अभी भी कांग्रेस के कई ऐसे नेता हैं, जिनके जोगी कांग्रेस में जाने और विधानसभा चुनाव लड़ने की संभावनाए बनी हुई है। यह सिलसिला 30 अक्टूबर को नामांकन की तारीख तक बनी रहेगी।

सीएम बघेल और संगठन की सख्ती, ठंडे पड़ गए तेवर

इधर, कांग्रेस में बगावत के सुर उठने के बाद पीसीसी के साथ ही खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सख्ती दिखाई है। बिलासपुर के असंतुष्ट कांग्रेस नेताओं से संगठन के नेता और मुख्यमंत्री लगातार संपर्क कर रहे हैं। उन्हें प्रत्याशी के पक्ष में काम करने की हिदायत दी जा रही है।

बेलतरा के कांग्रेस नेता त्रिलोक श्रीवास के साथ ही बिल्हा के नेता राजेंद्र शुक्ला को सख्त चेतावनी दी गई है। त्रिलोक श्रीवास को बगावत करने पर सख्ती से कार्रवाई करने तक कह दिया गया है, जिसके बाद से त्रिलोक श्रीवास के बगावती तेवर ठंडे पड़ गए हैं।

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