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बिलासपुर/ जिले में अरपा भैंसाझार प्रोजेक्ट में नहर निर्माण के मुआवजा वितरण में करोड़ों रुपए की गड़बड़ी करने के मामले में कलेक्टर ने तत्कालीन पटवारी दिलशाद अहमद को सस्पेंड कर दिया है।
जल संसाधान विभाग की जांच रिपोर्ट में 13 करोड़ रुपए की रिकवरी निकली है, जिसके बाद जिला स्तरीय जांच समिति बनाई गई है। बड़ी बात ये है कि भारी पैमाने पर हुई इस गड़बड़ी के लिए केवल पटवारी को दोषी मानकर खानापूर्ति की जा रही है।
दरअसल, अरपा भैंसाझार परियोजना में करोड़ों रुपए अवैध तरीके से मुआवजा बांट दिया गया है, जो जमीन नहर में नहीं आ रही है, उसका भी मुआवजा दे दिया गया है। लेकिन, अब तक न तो कूटरचना कर फर्जी दस्तावेज तैयार करने वाले अफसर और न ही मुआवजा पाने वालों पर कोई कार्रवाई की गई है।
इस पूरे मामले में राजस्व विभाग के तत्कालीन अफसर की भूमिका भी संदिग्ध है, लेकिन जांच में इसे नजर अंदाज किया जा रहा है।
बिल्हा और तखतपुर विधायक ने उठाया मुद्दा
विधानसभा सत्र के दौरान बिल्हा विधायक धरमलाल कौशिक और तखतपुर विधायक धर्मजीत सिंह ने इस मुद्दे को उठाया। साथ ही उन्होंने सवाल किया कि नहर निर्माण में गलत मुआवजा बांटने की अब तक न तो जांच कराई गई है और न ही दोषी अफसरों पर कार्रवाई की गई है।
कलेक्टर ने पटवारी को किया सस्पेंड, अफसरों पर भी गिरेगी गाज
माना जा रहा है कि सत्ताधारी दल के विधायकों के मामला उठाने के बाद जिला प्रशासन के अफसर हरकत में आ गए हैं। जिला स्तरीय जांच समिति एक बार फिर से एक्टिव हो गई है। जिला स्तरीय जांच समिति ने सकरी के तत्कालीन पटवारी दिलशाद अहमद को दोषी पाया है, जिसके बाद शासन ने छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम, 1966 के तहत नियमानुसार अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की अनुशंसा की है।
पटवारी को 30 जनवरी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया था। तत्कालीन हल्का पटवारी दिलशाद अहमद ने अपना जवाब दे दिया है, जिससे असंतुष्ट होकर कलेक्टर अवनीश शरण ने उसे सस्पेंड कर दिया है।
निलंबन अवधि में पहनं. 28 तखतपुर का अतिरिक्त प्रभार व्यासनारायण सिंह क्षत्री पटवारी हल्का नंबर 11 निगारबंद को अस्थायी रूप से सौंपा गया है। निलंबन अवधि में दिलशाद अहमद का मुख्यालय तहसील कार्यालय सकरी रहेगा। अब जांच समिति की रिपोर्ट पर इस मामले में शामिल दूसरे कर्मचारियों और अधिकारियों पर भी कार्रवाई हो सकती है।
Sub Editor