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रायपुर/ राज्य के मंत्रियों से लेकर आईएएस और आईपीएस अफसरों के नाम का फर्जी अकाउंट और प्रोफाइल बनाकर उनके परिचितों से ठगी की जा रही है। किसी को मैसेज भेजा जा रहा है कि मेडिकल इमरजेंसी में हूं तुरंत पैसे भेजो…बाकी बातें बाद में बताउंगा।
किसी को मैसेज भेजा जा रहा है कि सफर में हूं और पर्स चोरी हो गया है। इतना ही नहीं अच्छा और कीमती फर्नीचर सस्ते में खरीदने का झांसा देकर लोगों को ठगा जा रहा है। ठगों ने राज्य के खुफिया विंग के भी कुछ अफसरों की प्रोफाइल बनाकर उनके नाम से फर्जी मैसेज कर लोगों से पैसे ठग लिए हैं पुलिस को राजस्थानी गैंग का क्लू मिला है।
रायपुर में दो दिन पहले आला अधिकारियों का सोशल मीडिया में फर्जी अकाउंट बनाकर ठगी का प्रयास किया गया है। सभी के परिचितों को अलग-अलग किस्म के मैसेज किए गए। ठगों का नेटवर्क इतना तगड़ा है कि वे जिस अफसर की फर्जी प्रोफाइल बना रहे हैं, उनके एक-दो नहीं 18-20 परिचितों को मैसेज कर रहे हैं।
एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता के नाम से ठगों ने मैसेज किया। कई लोग झांसे में आ गए और पैसा देने को राजी हो गए। हालांकि लोग पैसे जमा करते, उसके पहले ही वरिष्ठ नेता के करीबियों को पता चल गया। उन्होंने पैसे जमा नहीं करवाए। पुलिस के अनुसार इस तरह की ठगी राजस्थान भरतपुर का गिरोह कर रहा है। ठग लगातार पैटर्न बदल रहे हैं।
खुफिया विंग का अफसर बनकर सस्ते फर्नीचकर का दिया झांसा
रायपुर में पदस्थ खुफिया विंग के एक अधिकारी का 10 दिन पहले ठगों ने सोशल मीडिया में फर्जी अकाउंट बनाया। उसमें उनकी फोटो पोस्ट की। नाम, पता, एजुकेशन सब कुछ अधिकारी के अकाउंट से कॉपी की गई थी। ताकि प्रोफाइल देखने पर किसी को शक न हो। उनसे जुड़े लोगों को पहले फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी गई, जो लोग ठग से जुड़ गए उन्हें मैसेज किया। उनसे सामान्य बातचीत की। फिर अफसर बनकर ही मैसेज किया कि उनका दोस्त सीआरपीएफ में है। उनका ट्रांसफर हो गया। वे सस्ते में अपना फर्नीचर और अन्य सामान का फोटो भेज रहे हैं। सेना के कैंटिन का बिल भेज रहे है। लोग समझ रहे थे अफसर खुद मैसेज कर रहे हैं कि इसलिए उन्हें जरा भी शक नहीं हुआ और दो लाख का सामान 50 हजार में लेने के चक्कर झांसे आ गए। सामान लेने के पहले ही एडवांस पेमेंट कर दिया है।
दो मंत्री के नाम से ठगी
राज्य के दो मंत्री, तीन विधायक के नाम से ठगी हो चुकी है। इसमें सिविल लाइन थाना में केस भी दर्ज किया गया था। इस केस में 2 ठग पकड़े गए थे। राज्य के एक दर्जन आईपीएस, आईएएस, राज्य सेवा के अधिकारी और कर्मचारी के नाम से ठगों ने फर्जी अकाउंट बनाया है। अब ठग उद्योगपति, कारोबारी नाम से ठगी कर रहे है। पंडरी में एक उद्योगपति ने भी केस दर्ज किया है।
1 साल में 105 केस ही दर्ज किए
- एक साल में केवल 105 घटनाओं में केस दर्ज किए हैं
- साइबर सेल के पास पिछले साल 1935 पीड़ितों ने ऑनलाइन ठगी की शिकायत
- क्राइम पोर्टल के माध्यम से 2163 लोगों ने शिकायत की है।
- पिछले साल में 5 करोड़ से ज्यादा की ठगी की रिपोर्ट हुई है।
गाड़ियां बेचकर जाने की तैयारी
शहर के एक टीआई का भी फर्जी अकाउंट बनाकर ठगी का प्रयास किया गया है। ठग ने उनके नाम से फर्जी अकाउंट बनाया। उनसे जुड़े लोगों को पहले खुद जोड़ा। फिर उनसे मैसेंजर में चैट किया। उनका नंबर मांग लिया। फिर फौजी बनकर फोन किया और कहा कि उनका रायपुर से ट्रांसफर हो गया है। अपनी गाड़ी सस्ते में बेचना चाहते है। दूसरी जगह ले जाने में दिक्कत है। इसके पहले कि कोई सौदेबाजी करता टीआई को खबर लग गई। उन्होंने तुरंत आईडी ब्लॉक कराया।
सावधानी से ही बचाव: अनजान व्यक्ति से न जुड़ें
- सोशल मीडिया अकाउंट को लॉक रखे, ताकि कोई प्रोफाइल देख न सके।
- प्रोफाइल फोटो को भी लॉक कर रखे, सेटिंग में जाकर प्राइवेसी को देखे।
- अनजान व्यक्ति से न जुड़े। उनकी रिक्वेस्ट को स्वीकार न करें।
- सोशल मीडिया के उपयोग से पहले प्राइवेसी को अच्छे से समझें।
- ठग मैसेंजर में बात कर रहे हैं तो उसके शब्दों और भाषा को ध्यान देवें।
- मैसेज आने पर परिचित व्यक्ति को फोन कर सीधे बातचीत करें।
- साइबर एक्सपर्ट..