छत्तीसगढ़ धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम : जबरदस्ती-धोखे से कराया धर्मांतरण तो 10 साल कैद , 3 राज्यों की स्टडी के बाद ड्राफ्ट तैयार, पढ़ें पूरी जानकारी..

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रायपुर/ छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार धर्मांतरण पर नियंत्रण के लिए कानून लाने की तैयारी कर रही है। इसे छत्तीसगढ़ धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम नाम दिया गया है। इसकी जानकारी मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने विधानसभा में दी थी। इसके बाद अफसरों ने ड्राफ्ट तैयार कर लिया है।

तीन राज्यों की स्टडी करने के बाद अधिनियम का मसौदा तैयार हुआ है। नया कानून लागू होते ही धर्म परिवर्तन से पहले सूचना देनी होगी। ड्राफ्ट में 17 प्वाइंट्स को शामिल किया गया है। विभागीय सूत्रों के अनुसार, विधानसभा में इसे पेश करने से पहले कुछ संशोधन होगा।

धर्मांतरण से 60 दिन पहले देनी होगी सूचना

सरकार के सूत्रों के अनुसार, अधिनियम का ड्राफ्ट पांच पेज का है। इसमें 17 से ज्यादा बिंदु रखे गए है। इन पर चर्चा की जा रही है। जो व्यक्ति दूसरे धर्म में परिवर्तित होना चाहता है, उसे कम से कम 60 दिन पहले व्यक्तिगत विवरण के साथ एक फॉर्म भरना होगा।

इस फॉर्म को जिला प्रशासन कार्यालय में जमा करना होगा। जिला प्रशासन के अधिकारी आवेदन आने पर पुलिस विभाग से धर्मांतरण के कारणों का पता लगाएंगे। मामला संदिग्ध लगा तो पूरे मामले में जांच कराई जाएगी और दोषी पाए जाने पर सख्त कार्रवाई होगी।

तो धर्मांतरण होगा अवैध

ड्राफ्ट के अनुसार यदि प्रलोभन, बल, विवाह या कपटपूर्ण तरीके से किसी व्यक्ति का धर्म परिवर्तन करवाया जा रहा है, तो धर्मांतरण अवैध माना जाएगा। साथ ही धर्मांतरण के बाद, व्यक्ति को 60 दिनों के भीतर एक और डिक्लेरेशन फॉर्म भरना होगा।

इसका सत्यापन कराने के लिए उसे स्वयं जिला प्रशासन के अधिकारियों के सामने पेश होना पड़ेगा। धर्मांतरण के बाद व्यक्ति यदि इस नियम का पालन नहीं करता, तो जिला प्रशासन के अधिकारी उसके धर्मांतरण को अवैध करार दे सकते हैं।

परिजनों की आपत्ति पर अदालत में होगी सुनवाई

धर्मांतरण करने वाले व्यक्ति की जब तक वैरिफिकेशन प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती, तब तक जिला प्रशासन नोटिस बोर्ड पर डिक्लेरेशन फॉर्म की एक प्रति प्रदर्शित करेगा। धर्मांतरण करने वाले के परिजनों की अगर आपत्ति है, तो वे FIR दर्ज करवा सकेंगे। यह मामला गैर-जमानती होगा और सुनवाई सत्र अदालत में होगी।

कानून के उल्लंघन पर इतनी होगी सजा

  • नाबालिग, महिला, अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के सदस्यों का अवैध रूप से धर्म परिवर्तन कराने का दोषी पाए जाने पर कम से कम 2 साल और अधिकतम 10 साल की जेल होगी। साथ ही न्यूनतम 25,000 रुपए का जुर्माना लगेगा।
  • अवैध तरीके से सामूहिक धर्म परिवर्तन में दोषी पाए जाने पर कम से कम 3 साल और अधिकतम 10 साल की सजा और 50,000 रुपए जुर्माना होगा।
  • कोर्ट धर्म परिवर्तन के पीड़ित को 5 लाख रुपए तक का मुआवजा भी मंजूर कर सकता है।
  • ड्राफ्ट में कहा गया है कि धर्मांतरण अवैध नहीं था, यह साबित करने की जिम्मेदारी, धर्मांतरण करने वाले और कराने वाले व्यक्ति की होगी।

इन राज्यों के अधिनियम को पढ़कर मसौदा हुआ तैयार

सरकार से जुड़े सूत्रों के अनुसार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और हरियाणा में लागू धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के नियमों की स्टडी विभागीय अधिकारियों ने की है। इसके बाद छत्तीसगढ़ धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम का ड्राफ्ट तैयार किया है।

मध्य प्रदेश में धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 27 मार्च 2021, उत्तर प्रदेश गैर कानून धर्म परिवर्तन अध्यादेश 27 नवंबर 2020 और हरियाणा में धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 15 दिसंबर 2022 को लागू किया गया था।

क्या है धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम

इस अधिनियम के तहत प्रत्येक व्यक्ति को अपनी पसंद के धर्म का पालन करने का अधिकार है। इस स्वतंत्रता को लोकतंत्र का प्रतीक माना जाता है। धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार का अर्थ है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपनी पसंद के धर्म का अभ्यास करने और उसका पालन करने का अधिकार है।

पूर्व सरकार में धर्मांतरण की संख्या इतनी

विधानसभा में मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने बताया था कि, कांग्रेस सरकार में धर्मांतरण के खिलाफ 34 मामले दर्ज किए गए, लेकिन BJP नेताओं का दावा है कि मामले इससे कहीं ज्यादा हैं। धर्मांतरण का मुद्दा छिड़ने के बाद कांग्रेस नेता भी इसमें बयानबाजी कर रहे है।

कांग्रेस नेताओं के अनुसार, 2003 से 2011 के बीच धर्मांतरण के मामलों में बढ़ोतरी हुई थी। दावा किया है कि, रमन सरकार के कार्यकाल में 80 हजार परिवारों का धर्मांतरण किया गया। 2011 के बाद जनगणना नहीं हुई, इसलिए आंकड़े स्पष्ट नहीं हैं।

अधिनियम की बेहद आवश्यकता

भाजपा के वरिष्ठ प्रवक्ता केदार गुप्ता ने से कहा कि, छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम की बेहद आवश्यकता है। आज पश्चिम बंगाल, श्रीनगर, जम्मू कश्मीर की स्थिति को हम देख रहे है। मणिपुर में भी समुदायों के बीच विवाद चल रहा है।

उन्होंने कहा कि, धार्मिक स्वतंत्रता, धर्म, संस्कृति और मजबूती को आधार देने के लिए इस अधिनियम की आवश्यकता है। ये सरकार की जवाबदारी है। अधिनियम लागू होगा और इसमें नियम तोड़ने वालों के खिलाफ कठोर सजा का प्रावधान होगा।

चुनाव आते ही धर्म याद आता है

छत्तीसगढ़ धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के बारे में कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय ठाकुर ने कहा कि, मध्य प्रदेश शासन काल में कांग्रेस ने इस नियम को बनाया था। सर्वोच्च न्यायालय ने भी इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं, लेकिन नियमों का पालन करने के बजाए राजनीति करने के लिए छत्तीसगढ़ धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम की चर्चा की जा रही है।

उन्होंने कहा कि, विधानसभा चुनाव हो या लोकसभा चुनाव बीजेपी नेताओं के पास धर्म के अलावा कोई भी मद्दा नहीं है। भाजपा धर्मांतरण को रोकना नहीं चाहती, बल्कि इसकी आड़ में राजनीति कर रही है। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और गुजरात सब जगह धर्मांतरण हो रहा है।

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