रतनपुर में बना बिरनपुर जैसे हालात : रेप पीड़िता के मां को जेल भेजने के चलते आक्रोश, रतनपुर बंद, अतिरिक्त पुलिस बल तैनात..

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रतनपुर/ बिलासपुर में पुलिस की संदिग्ध कार्यप्रणाली से एक बार फिर बिरनपुर जैसे हालात बन गए हैं। रेप पीड़िता की मां को जेल भेजने के बाद हिंदूवादी संगठनों ने शनिवार को देर शाम रतनपुर थाने का घेराव करके जमकर हंगामा किया। उन्होंने टीआई समेत जिम्मेदार पुलिसकर्मियों को सस्पेंड करने और पीड़िता को न्याय देने की मांग की है।

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इसके साथ ही रविवार यानि आज रतनपुर को बंद करने का ऐलान किया है। इधर, बिगड़ते हालात को देखते हुए पुलिस भी अलर्ट हो गई है। रतनपुर में अतिरिक्त बल तैनात कर दिया गया है।

टीआई को निलंबित करने की मांग, आज रतनपुर बंद

दुष्कर्म पीड़िता की मां पर काउंटर केस दर्ज करने के विरोध में शनिवार को हिंदू संगठन के लोगों ने रतनपुर में रैली निकालते हुए थाने का घेराव किया। पुलिस के खिलाफ नारेबाजी करते हुए उन्होंने पुलिसकर्मियों को चूड़ियां भी भेंट की। इस दौरान बड़ी संख्या में लोग शामिल थे, जिन्होंने सड़क पर टायर जलाकर विरोध-प्रदर्शन किया।

हंगामे के बाद बिगड़ते हालात को देखते हुए एडिशनल एसपी सिटी, एसडीओपी कोटा सहित तहसीलदार थाने में देर रात तक डटे रहे। जिले भर से पुलिस जवानों को रतनपुर बुला लिया गया है। करीब दो घंटे तक यहां जमकर बवाल मचा। आंदोलनकारियों ने पीड़िता को न्याय नहीं मिलने पर रतनपुर बंद का ऐलान कर दिया है। इसके साथ ही उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है।

SP के जवाब पर भड़का आक्रोश

दरअसल, शनिवार को पीड़िता और हिंदूवादी संगठन के लोग इस केस की निष्पक्ष जांच की मांग को लेकर SP संतोष सिंह से मिलने पहुंचे थे। इस दौरान SP संतोष सिंह ने कानून के अनुसार कार्रवाई करने की बात कह दी। साथ ही कहा कि दस साल के बच्चे के साथ जो घटना हुई है, उस पर पुलिस ने केस दर्ज किया है। इस केस में रेप पीड़िता से कोई लेना देना नहीं है। उनके इस जवाब से असंतुष्ट हिंदूवादी संगठन के लोगों ने प्रदेश भर के लोगों को रतनपुर बुला लिया और थाने का घेराव करके विरोध-प्रदर्शन करने लगे।

दुष्कर्म जैसे संगीन केस में काउंटर केस दर्ज करने पर वकील प्रियंका शुक्ला का कहना है कि, आरोपी पक्ष के लोगों ने यदि आरोप लगाया है तो कानून कहता है कि इस पर तत्काल कार्रवाई करने के बजाए पुलिस को पूरी जांच कर लेनी चाहिए थी। यदि शिकायत करने पर दुष्कर्म पीड़िता के प्रार्थी को ही जेल भेज दिया जाए तो अन्य पीडितों का क्या होगा? दुष्कर्म के बाद रसूखदारों के खिलाफ कोई रिपोर्ट दर्ज कराने थाना कैसे आएगा? समझौता कराने के लिए यह हमेशा के लिए परंपरा बन जाएगी और हर आरोपी ऐसा करेगा।

हाईकोर्ट के एडवोकेट समीर सिंह का कहना है कि, इधर परिवार पर केस दर्ज होने के डर से कोई पीड़ित थाने नहीं जाएगा। यह गंभीर विषय है। पुलिस हर मामलों में कानून को अपनी तरह से जस्टिफाई करने लगती है। इस केस में पुलिस को गंभीरता बरतनी चाहिए थी।

पुलिस पर इसलिए बड़ा सवाल

दरअसल पुलिस को दुष्कर्म के आरोपी के परिजनों ने 19 मई को पीड़िता की मां के खिलाफ थाने में शिकायत की। उसी दिन एफआईआर दर्ज हुआ। एफआईआर से पहले ही महिला को गिरफ्तार कर लिया गया था। इतना ही नहीं उसी दिन महिला को जेल भी भेज दिया गया। महिला को अपना पक्ष रखने तक का मौका नहीं दिया गया।

महिला की गिरफ्तारी पर थाना प्रभारी ने क्या कहा पढ़िए…

TI कृष्णकांत सिंह ने कहा, जिस युवक पर रेप का आरोप है, उसी युवक के घर 10 साल का लड़का रायपुर से आया था। वह एक दिन मोहल्ले की दुकान में फ्रूटी लेने जा रहा था, तभी विधवा महिला उसे चॉकलेट देने के बहाने अपने घर ले गई, और नाबालिग बच्चे के प्राइवेट पार्ट से छेड़खानी की। बच्चे के रोने पर किसी को यह बात बताने पर जान से मारने की धमकी दी। जिसके बाद से बच्चा सदमे में आ गया था।इस घटना के कुछ ही दिन बाद बच्चे की मां रतनपुर आई और उसे लेकर रायपुर चली गई। वहां उसका बेटा गुमशुम और डरा-सहमा रहता था। बेटे से पूछने पर उसने पूरी आपबीती बताई। इसके बाद उसे रतनपुर लाकर उस महिला की पहचान कराई गई।

लड़की बोली- पहले समझौता करने का बनाया दबाव, बात नहीं बनी तो पुलिस के साथ मिलकर फंसाया

रेप पीड़ित लड़की ने बताया, केस दर्ज कराने के बाद से उन्हें डराया-धमकाया गया। इसके साथ ही पैसों की लालच देकर समझौता कराने की कोशिश की गई। लेकिन, हम लोग तैयार नहीं हुए, तब TI के साथ मिलकर मां पर झूठे आरोप लगाकर केस बना दिया गया है। इस मामले में पुलिस और आरोपी के परिवार वाले मिले हुए हैं। हम गरीब हैं, हमारा कोई नहीं है। इसलिए इस तरह से साजिश रची गई है।

भाजपा नेता और पार्षद है करीबी रिश्तेदार

इस पूरे मामले में पता चला है कि रेप पीड़ित युवक का करीबी रिश्तेदार हकीम मोहम्मद भाजपा नेता और पार्षद है। जब रेप का केस दर्ज हुआ, तब भी पीड़ित परिवार पर दबाव बनाने की कोशिश की गई। लेकिन, परिजन दबाव में नहीं आए।

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