ATR में वन कर्मी पैदल चल कर खोज रहे वन्यप्राणियों के पैरों के निशान और खरोंच, वन्यजीवों की काउंटिंग हुई शुरू, कोरोना के चलते इस बार देर से शुरू हुई गिनती, दो बार होती है गणना..

शेयर करें...

मुंगेली/ जिले से लगे अचानकमार टाइगर रिजर्व (ATR) में भी कोरोना संक्रमण का असर पड़ा है, जिसके चलते यहां के वन्यप्राणियों की गिनती देर से शुरू हुई है। आम तौर पर गरमी के शुरुआती दिनों में जो गणना शुरू हो जाती थी, वो जून में शुरू हो पाई है। ये गणना ATR प्रबंधन के द्वारा पैदल चल कर कराई जा रही है। वन्य जीवों के गणना की ये पुरानी प्रक्रिया है, लेकिन आज भी इसे इस्तेमाल किया जा रहा है।

Join WhatsApp Group Click Here

गणना में लगे वन कर्मी पहले तीन ट्रेल और उसके बाद तीन ट्रांजिट लाइन पर चल कर वन्य प्राणियों के पैरों के निशान, पेड़ों में खरोंच औऱ मल देख रहे हैं। वनकर्मियों को जिन स्थानों पर ये चीजें नजर आएंगी, उन स्थानों को मार्क किया जाएगा। इसके बाद इसकी रिपोर्ट बनाकर मुख्यालय को भेजा जाएगा। यह गणना 8 जून तक चलेगी। ट्रेल लाइन के अंतर्गत मांसाहारी औऱ ट्रांजिट लाइन में शाकाहारी वन्यप्राणियों की गणना की जा रही है।

दो बार होती है गणना

दरअसल, नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (NTCA) की गाइडलाइन के मुताबिक देश के सभी टाइगर रिजर्व में साल में दो बार गणना करनी होती है। गणना का ये काम ठंडी और गर्मी के सीजन में किया जाता है। इससे पहले ठंड में इस बार 27 जनवरी से गणना शुरू हुई थी जो तीन फरवरी तक चली थी। प्रत्येक बीट में वनकर्मी सुबह से निकल जाते थे और दोपहर या शाम तक वापस लौटते थे।

गणना कैसे करते हैं?

वन्य जीवों की गणना एक कठिन काम है। यही वजह है कि इसे साल में दो बार ही किया जाता है। कई बार इन गिनतियों के लिए ट्रैप कैमरे या किसी और प्रकार के कैमरे भी इस्तेमाल किए जाते हैं। लेकिन ATR में फिलहाल पैदल चलकर ही गणना की जा रही है। वन्य जीवों की गणना में घर-घर जाकर नाम-पते और अन्य ब्यौरे इकट्ठे नहीं किए जा सकते। इनकी गणना में कुछ अलग तरीके अपनाने पड़ते हैं। प्राणियों को प्रत्यक्ष देखना, निशान लगाना, गोबर या पद-चिन्हों के आधार पर अनुमान लगाना जैसी कवायद की जाती है। इसके बाद ही कुछ खास इलाके में वन्य जीवों की संख्या के बारे में कुछ कहा जा सकता है ।

अचानकमार टाइगर रिजर्व क्या है?
अचानकमार अभ्यारण्य की स्थापना 1975 में की गई थी। 2007 में इसे बायोस्फीयर घोषित किया गया और 2009 में बाघों की बढ़ती संख्या के चलते अचानकमार अभ्यारण्य को टाइगर रिजर्व क्षेत्र घोषित कर दिया गया था। अचानकमार टाइगर रिजर्व की गिनती देश के 39 टाइगर रिजर्व में होती है। यहां बाघ, तेंदुआ, गौर, उड़न गिलहरी, जंगली सुअर, बायसन, हिरण, भालू, लकड़बग्घा, सियार, चार सिंग वाले मृग, चिंकारा सहित बड़ी संख्या में जंगली जानवर हैंं। इतना ही नहीं मैकल पर्वत श्रृंखला पर 553.286 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में अचानकमार टाइगर रिजर्व फैला हुआ है । जहां जैव विविधता पायी जाती है। यहां 200 से भी अधिक विभिन्न प्रजातियों के पक्षी भी पाए जाते हैं।

Scroll to Top