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नई दिल्ली// जुलाई से एमएसएमई की परिभाषा बदलने के साथ ही माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम इंटरप्राइज (एमएसएमई) की स्थापना के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू की जा रही है। इस संबंध में एमएसएमई मंत्रालय की तरफ से उद्यम रजिस्ट्रेशन नाम से अधिसूचना जारी की गई है।
अधिसूचना के मुताबिक कोई भी व्यक्ति जो माइक्रो, स्मॉल या मीडियम इंटरप्राइज स्थापित करना चाहता है, वह मंत्रालय के उद्यम रजिस्ट्रेशन पोर्टल पर ऑनलाइन उद्यम रजिस्ट्रेशन करा सकता है। रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी तरह से स्वघोषित व स्व प्रमाणित होगी।
किसी प्रकार का कोई भी दस्तावेज रजिस्ट्रेशन के दौरान अपलोड नहीं करना होगा। सिर्फ उद्यम रजिस्ट्रेशन पोर्टल पर दिए गए फॉर्म को भरना होगा। रजिस्ट्रेशन के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा, लेकिन आधार नंबर का होना जरूरी होगा। रजिस्ट्रेशन के बाद उद्यमी को स्थायी रूप से एक उद्यम रजिस्ट्रेशन नंबर दिया जाएगा। रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी होते ही उद्यम रजिस्ट्रेशन का ई-सर्टिफिकेट जारी हो जाएगा।
अधिसूचना के मुताबिक उद्यम रजिस्ट्रेशन मिलने पर इंटरप्राइज पिछले साल का जीएसटी रिटर्न और आईटीआर की विस्तृत जानकारी ऑनलाइन पोर्टल पर डालेगा। इस आधार पर इंटरप्राइज की श्रेणी का वर्गीकरण स्वत: हो जाएगा। मतलब, वह इंटरप्राइज माइक्रो श्रेणी का है या स्मॉल या मीडियम, इसका स्पष्टीकरण हो जाएगा। अधिसूचना के मुताबिक अगर किसी इंटरप्राइज की तरफ से मशीनरी में नए निवेश या उनके टर्नओवर में बढ़ोतरी से उनकी श्रेणी बदल रही है, तो भी उस साल उन्हें अपनी पुरानी श्रेणी में रहना पड़ेगा। अगले साल उनकी श्रेणी बदलेगी। एक जुलाई से मशीनरी में निवेश और टर्नओवर के आधार पर एमएसएमई की परिभाषा तय होगी।
एमएसएमई मंत्रालय की तरफ से पहले से ही उद्यमियों के रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था है और ऑनलाइन उद्योग आधार मेमोरेंडम (यूएएम) भरने पर उद्यमियों को उद्योग आधार नंबर जारी किया जाता है। अधिसूचना के मुताबिक जिन उद्यमियों ने यूएएम पर अपना रजिस्ट्रेशन कराया है, उन्हें फिर से नए पोर्टल पर अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगा।
एमएसएमई विशेषज्ञों के मुताबिक रजिस्ट्रेशन कराने का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि रजिस्टर्ड एमएसएमई सरकार की स्कीम का लाभ ले पाती है।
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