वनवासी बच्चों के भविष्य गढ़ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शिक्षा का प्रसार करने विद्यामितान शिक्षकों ने उठाए जोखिम, लेकिन कोरोना संकट में इन शिक्षकों का हो गया बुराहाल…

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रायपुर// वर्षों से छत्तीसगढ़ में शिक्षा के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट सेवा से अलग पहचान रखने वाले विद्यामितान वे शिक्षक हैं, जो बीते कई वर्षों से छत्तीसगढ़ के सुदूर वनांचल, अभावग्रस्त, नक्सल प्रभावित इलाकों में शैक्षिक सुविधा पहुंचा रहे हैं तथा अंधकार में दीपक की भाँति उन पहुँच विहीन इलाकों के बच्चों के सपनों में नयी उम्मीद बनकर उभरे हैं।
इन शिक्षकों के द्वारा विभिन्न असुविधाजनक स्थिति के बाद भी उत्कृष्ट प्रदर्शन इनके योग्यता को सिद्ध करता है किंतु निर्धारित योग्यता को पूर्ण करने के बाद भी ये अपने ख़ुद के भविष्य के लिए बेहद चिंतित हैं और अपने नियमितीकरण को लेकर बार बार छत्तीसगढ़ सरकार से मांग कर रहे है।

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CM भूपेश के घोषणा पत्र में भी शामिल था इनकी नियमितीकरण…

आपको बता दें कि प्रदेश में सूबे के मुखिया के चुनावी घोषणा पत्र में भी विद्यामितान शिक्षकों की नियमितीकरण शामिल था पर लगभग आधा कार्यकाल समाप्त हो जाने के बाद भी अबतक यह वादा पूरा नही किया गया है। जिससे कहीं न कहीं इन शिक्षकों का मनोबल कमजोर होता दिखाई पड़ रहा है। वहीं इनके द्वारा अपने नियामितिककरण को लेकर लगातार सूबे के मुखिया सहित अन्य जनप्रतिनिधियो का ध्यानाकृष्ट किया जा रहा है। इतना ही नही स्वयं मुख्यमंत्री सहित टीएस बाबा द्वारा भी विभिन्न मंचो और सोशल मीडिया के माध्यम से नियमितीकरण के इस वादे को पूरा करने का संकेत देकर आश्वासन दिया जा चुका है। उसी आश्वासन के भरोसे गत ढाई तीन वर्षों से विद्यामितान शिक्षक अपने नियमितीकरण की राह देख रहे हैं।

विभागीय मंत्री, राज्यपाल, विधानसभा अध्यक्ष ने नियमितीकरण के संदर्भ में जारी किया पत्र, अधिकारी उदासीन..

02 मार्च 2019 को मुख्यमंत्री बघेल की अध्यक्षता में आयोजित केबिनेट की बैठक में इनके भविष्य को सुरक्षित करने तथा हितों का संरक्षण किये जाने का फैसला भी लिया जा चुका है। इतना ही नही 08 जुलाई 2020 को राज्यपाल के सचिव द्वारा पत्र जारी किया गया है, 09 मार्च 2021को विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत, 03 फरवरी 3019 को शिक्षा विभाग के मुखिया डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम सहित 75 से भी ज्यादा जनप्रतिनिधियों, नेता, मंत्री, विधायकों तथा सांसदों के द्वारा इन शिक्षकों का शिक्षा विभाग में नियमितीकरण किये जाने हेतु विभागीय पत्र जारी किया जा चुका है। बावजूद इसके संबंधित विभाग के अधिकारियों द्वारा जारी पत्र पर आज पर्यंत कोई कार्यवाही नहीं किया जाना अधिकारियों की उदासीन व्यवहार को दर्शाता है।

कोरोना संकट के दौर में विद्यामितान शिक्षकों की दशा बेहद दयनीय, सोशल मीडिया के माध्यम से कर रहे अपनी संवेदना व्यक्त…

कोरोना संकट के दौर में अन्य कर्मचारियों को आजीविका के साधन तो उपलब्ध हैं, लेकिन विद्यामितान शिक्षक गत डेढ़ दो वर्षों से बिना वेतन बेरोजगार घर बैठने मजबूर हैं। कई शिक्षक कोरोना के काल में समा गये, कईयों के घर बिखर गए, परिवार उजड़ गए। अंत में थकहार कर सोशल मीडिया फेसबुक, ट्विटर के माध्यम से #विद्यामिताननियमितीकरण के साथ बेहद मार्मिक और निवेदनात्मक शैली में सरकार के प्रमुख जिम्मेदार मंत्रियों को टैग करते हुए अपनी जायज मांग रखने को मजबूर हैं।

छत्तीसगढ़ में भूपेश सरकार का आधा कार्यकाल पूरा हो गया है इसी के साथ ही इनके द्वारा सरकार बनने के पहले किए गए अपने चुनावी वादों में से बहुतों को पूरा कर लिया गया है। इसी घोषणापत्र में शामिल नियमितीकरण का वादा भी जल्द पूरा किया जाएगा इसी आशा और भरोसा के साथ छत्तीसगढ़ के विद्यामितान शिक्षक भी बाट जोह रहे है। अब देखना होगा कि सूबे के मुखिया द्वारा इनकी समस्याओं को कब तक दूर किया जाएगा।

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