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रायगढ़/ कोरोना महामारी के रोकथाम के लिए लगाये लॉक डाउन में लोगों की जिंदगी की रफ्तार धीमी कर दी है। संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लोगों को घरों में रहना पड़ रहा है। सोशल डिस्टेंसिंग बनाये रखने के लिए अधिकांश काम धंधे बंद कर दिए गए है। इन सबका सीधा असर अन्य राज्यों से काम या मजदूरी करने आये श्रमिकों पर हुआ है, जो यहां फंसे हुए हैं। किन्तु शासन द्वारा उनकी देखभाल का उचित प्रबंध किया गया है। अन्य राज्यों या जिलों के ऐसे लोग जो रायगढ़ जिले में फंसे हुए है, उनके लिए राहत शिविर बनाकर तमाम जरूरी सुविधाएं मुहैय्या करायी जा रही है।
राहत शिविरों में सुबह शाम के खाने व नाश्ते के साथ स्वच्छ पेयजल व शौचालय की व्यवस्था की गई है। साथ ही रोजमर्रा की जरूरत का सामान जैसे साबुन, तेल, पेस्ट भी दिया जा रहा है। प्रशासन स्तर पर अंतर्विभागीय टीम बनाकर 24 घंटे शिविर में रूके लोगों की देखभाल की जा रही है। उनकी कॉउंसलिंग भी की जा रही जिससे वे इस चुनौतीपूर्ण समय में कोरोना के रोकथाम के लिए लॉक डाउन का लगाया जाना, सोशल डिस्टेंसिंग जैसे मत्वपूर्ण पहलुओं को समझ कर उसका पालन करते हुए प्रशासन के साथ सामंजस्य बना सकें। इस दौरान एक दूसरे से दूरी बनाकर रहना, नियमित रूप से साबुन से हाथ धोना जैसी बातें बताकर उस पर अमल करवाया जा रहा है। शिविर में रहने वाले लोगों को मॉस्क भी बांटे गये है। स्वास्थ्य विभाग की टीम नियमित अंतराल में इन शिविरों में पहुंचकर रुके लोगों का परीक्षण कर रही है। जिला स्तर के अधिकारी सतत् निरीक्षण कर शिविरों के संचालन पर नजर बनाए हुए हैं।
धरमजयगढ़ के राहत शिविर में रुके जिला गढ़वा झारखंड के निवासी एहसान अहमद खान कहते हैं कि लॉक डाउन लगने के शुरुआती दौर में दिक्कत तो हुई पर 29 मार्च को राहत शिविर में आने के बाद से रहने खाने की चिंता से मुक्त हो गए हैं। इसी प्रकार झारखंड के ही सरफुद्दीन खान भी कहते हैं कि प्रशासन की व्यवस्था बहुत अच्छी है, समय से नाश्ता खाना मिलने के साथ नियमित स्वास्थ्य जांच भी की जाती है।
गौरतलब है कि रायगढ़ जिले में 27 राहत शिविर संचालित है। जहां वर्तमान में विभिन्न राज्यों के 227 व्यक्ति रूके हुए है। जिनमे छत्तीसगढ़ के अन्य जिलों से 46, उड़ीसा से 2, झारखण्ड से 39, बिहार से 25, मध्यप्रदेश से 82, उत्तरप्रदेश से 6, राजस्थान से 5, पश्चिम बंगाल से 18 एवं महाराष्ट्र से 4 व्यक्ति शामिल हैं।
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