रायगढ़: नरवा संवर्धन से भूजल बढऩे के साथ किसानों की बढ़ी आय, लॉकडाउन में किसान प्रफुल्ल भोय ने सब्जियां बेच कमाये डेढ़ लाख रुपये..

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रायगढ़/ मनरेगा अंतर्गत किये जा रहे नरवा संवर्धन के कार्यो ने मजदूरों और किसानों की जिंदगी के अलावा गांव के प्राकृतिक संसाधनों को भी बेहतर बनाया है. पहले बरसात के मौसम में ही बहता दिखाई देने वाला जीरानाला, अब जल संवर्धन के कार्यों से बारिश के पहले और बाद में भी जीवंत दिखाई दे रहा है. रायगढ़ जिले के डूमरपाली गांव में बहने वाले जीरानाले में महात्मा गांधी नरेगा से सात नग बोल्डर चेक डेम का निर्माण करवाया गया है. साल 2019 में बरसात के बाद, यहां रूके पानी से आसपास की जमीन हरी-भरी हो गई. गांव के लगभग 60 से 70 किसानों ने नाले से लगे अपने खेतों में धान के अलावा सब्जियों का भरपूर उत्पादन लिया, इससे उन्हें अच्छी-खासी आमदनी हुई. जीरानाला में बने छोटे-छोटे बोल्डर चेक डेमों ने किसानों की जिंदगी को खुशहाल कर दिया है.

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जिले के बरमकेला विकासखण्ड की डूमरपाली ग्राम पंचायत में दिखाई दे रही इस हरियाली और खुशहाली के पीछे शासन के द्वारा नरवा संवर्धन के लिये किये जा रहे प्रयास और ग्रामीणों की मेहनत है. साल 2019-20 में इस गांव में बहने वाले जीरानाले में भूमि क्षरण को रोकने एवं संग्रहित जल के जरिये भू-जल भंडारण के उद्देश्य से महात्मा गांधी नरेगा के तहत जल संवर्धन का कार्य कराया था. इसके अंतर्गत 77 हजार 136 रुपये की लागत से नाले पर अलग-अलग स्थानों में 7 बोल्डर चेक डेम का निर्माण कराया गया. यहां 20 महिलाओं और 33 पुरूषों को मिलाकर, कुल 53 ग्रामीणों को 317 मानव दिवस का रोजगार महात्मा गांधी नरेगा से मिला.
डूमरपाली गांव के जीरानाले में महात्मा गांधी नरेगा योजना से हुए इस जल संवर्धन के काम ने बड़ा असर डाला है. इसमें 33 ग्रामीण परिवारों को सीधे रोजगार मिला.

नाले में अलग-अलग चिन्हांकित जगहों पर बोल्डर चेक डेम बनाने से नाले में अधिक समय तक पानी रूका, जिसका उपयोग नाले से लगी कृषि भूमि के किसानों ने अपनी खेती-बाड़ी में किया. इस कार्य से गांव 62 किसानों की लगभग 75 एकड़ कृषि भूमि सिंचित हुई है. जीरानाले में पानी रूकने से रिसन के माध्यम से भू-जल भंडारण में वृद्धि हुई है. इसका प्रभव नाले से लगे किसानों की खेती-जमीन में खुदे 12 नल कूपों में साफ देखा जा सकता है. बोल्डर चेक डेम बनने के पूर्व मई-जून महीने में इन नल कूप में जल स्तर 400 से 500 फीट नीचे चला जाता था, जो आज 150 से 250 फिट पर आ गया है. भू-जल स्तर बढऩे से आसपास हरियाली भी बढ़ गई है.

जीरानाले में हुये जल संवर्धन के कार्य से लाभान्वित किसान प्रफुल्ल भोये बताते है कि नाले से लगकर उनकी 2.1 एकड़ कृषि भूमि है, जिसमें उन्होंने नाले के पानी से बरबट्टी, बैंगन, करेला, मिर्च और तोरई सब्जियों की पैदावार ली. इस साल, जिसमें लॉकडाउन की अवधि भी शामिल है, इन सब्जियों को बेचने से उन्हें लगभग डेढ़ लाख रुपये की आमदनी हुई। उन्होंने बोल्डर चेक डेम निर्माण में 6 दिन कार्य किया था, जिससे उन्हें 1056 रुपये की मजदूरी प्राप्त हुई. प्रफुल्ल के खेत के नजदीक प्रमोद भोये, रिबे साहू, नातोकुमार खमारी और हेमराज भोई भी ऐसे ही किसान है, जिन्होंने नाले से लगी अपनी कृषि भूमि पर इस साल सब्जियों का उत्पादन लेकर लाभ कमाया. महात्मा गांधी नरेगा योजना अंतर्गत हुये नरवा संवर्धन के इस कार्य ने किसानों की जिंदगी में खुशियों के बड़े-बड़े पल लाकर, उन्हें खुशहाल बना दिया है.

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