‘पढ़ई तुंहर दुआर’: 15.77 लाख से अधिक विद्यार्थियों को लाभ, फीस के लिए दबाव की शिकायत पर आठ स्कूलों को नोटिस ..

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रायपुर: स्कूल शिक्षा, अनुसूचित जाति एवं जनजाति और सहकारिता मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह ने आज वीडियोकॉफ्रेसिंग के माध्यम से मीडिया के प्रतिनिधियों को जानकारी दी कि ’पढ़ई तुंहर दुआर’ कार्यक्रम का लाभ प्रदेश में 15 लाख 77 हजार 351 स्कूली विद्यार्थी को मिल रहा है। इस पोर्टल से एक लाख 65 हजार 245 शिक्षक भी जुड़ चुके हैं। डॉ. टेकाम ने बताया कि निजी विद्यालयों में अध्ययनरत बच्चों की फीस स्थगित करने का निर्णय शासन ने लिया है। बच्चों से शुल्क लेने की शिकायत पर 8 अशासकीय विद्यालयों को नोटिस जारी किया गया है

इस दौरान डॉ. प्रेमसाय सिंह ने बताया कि कोरोना संक्रमण के बाद स्कूल शिक्षा विभाग ने सावधानी बरतते हुए स्कूलों में फिजिकल डिस्टेसिंग और आवश्यक निर्देशों का पालन करते हुए सभी स्कूलों को 13 मार्च 2020 लॉकडाउन की श्रेणी में ले लिया था। लॉकडाउन के कारण स्कूली बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो इसके लिए तत्काल कदम बढ़ाते हुए ’पढ़ई तुंहर दुआर’ कार्यक्रम प्रारंभ किया गया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा इस कार्यक्रम के अंर्तगत ऑनलाईन पोर्टल का शुभारंभ 7 अप्रैल को किया गया। यह पोर्टल बहेबीववसण्पद पर सभी बच्चों के निःशुल्क उपलब्ध कराया गया है। स्कूल शिक्षा मंत्री ने बताया कि ’पढ़ई तुंहर दुआर’ कार्यक्रम के पोर्टल में 7 हजार 910 वीडियों, 188 ऑडियो, 3 हजार 477 फोटो, एक हजार 754 कोर्स मटेरियल अपलोड हो चुके हैं तथा 78 ऑनलाईन कक्षाएं संचालित है। यह पोर्टल उच्च शिक्षा के लिए भी उपलब्ध करा दिया गया है। ’पढ़ई तुंहर दुआर’ कार्यक्रम को काफी सराहा गया है। उन्होंने कहा कि इस पोर्टल के माध्यम से किसी भी राज्य के बच्चे जुड़कर पढ़ाई कर सकते हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस संबंध में अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी पत्र लिखा है। इसी के साथ बच्चों से सतत् सम्पर्क करते हुए विभिन्न एप के माध्यम से ऑनलाईन कक्षाएं भी प्रारंभ की गई। इस ऑनलाईन प्रक्रिया और पोर्टल से कक्षा पहलीं से 10वीं तक के बच्चे लाभान्वित हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि शीघ्र ही कक्षा 11वीं और 12वीं के बच्चों को यह सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। डॉ. टेकाम ने बताया कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत प्रदेश में बच्चों को प्रवेश दिया जाएगा।

स्कूल शिक्षा मंत्री ने कहा कि फिजिकल डिस्टेसिंग का पालन हो, इसके लिए विद्यालय में बच्चे एक साथ बैठकर परीक्षा न दे। शासन ने इस संबंध में महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए कक्षा पहली से आंठवी तक तथा नवमी और ग्यारहवीं कक्षा के सभी बच्चों को जनरल प्रमोशन दे कर अगली कक्षा में कक्षोन्नति भी दी है। डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने कहा कि लॉकडाउन की अवधि पर बच्चों का मध्यान्ह भोजन प्रभावित न हो, इसके लिए कक्षा पहली से आंठवी तक के सभी बच्चों के लिए 40 दिन का सूखा अनाज बच्चों को उपलब्ध कराया। प्रदेश में 29 लाख बच्चों में से 98 प्रतिशत बच्चें इसका लाभ उठा रहे है। स्कूल शिक्षा मंत्री ने बताया कि लॉकडाउन की अवधि में निजी विद्यालयों में अध्ययनरत बच्चों के पालकों पर आर्थिक भार न पड़े इसके लिए समस्त अशासकीय विद्यालयों के बच्चों से शुल्क लेने की कार्रवाई को स्थगित किया गया है। साथ ही अशासकीय विद्यालयों में कार्यरत कर्मचारियों को लॉकडाउन की अवधि का वेतन जारी रखने का निर्देश भी दिया गया है।

आदिमजाति तथा अनुसूचित जाति की 110 से अधिक चिन्हितख्सं स्थाओं में 2200 से अधिक प्रवासी
डॉ. टेकाम ने बताया कि कोविड-19 संक्रमण से बचाव को ध्यान में रखते हुए शिक्षण संस्थाओं के साथ ही राज्य में आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग द्वारा संचालित छात्रावास-आश्रमों, विशिष्ट शिक्षण संस्थाओं को तत्काल प्रभाव से बंद किए जाने के निर्देश दिए गए। लॉकडाउन अवधि में छत्तीसगढ़ तथा अन्य राज्यों के ऐसे प्रवासी व्यक्ति जो अपने गंतव्य स्थल पर नहीं पहुंच पाए और बीच में फंस गए है ऐसी कठिन परिस्थिति में उनकी देखभाल के लिए विभाग द्वारा विभिन्न जिलों में संचालित 257 छात्रावासों-आश्रमों एवं अन्य आवासीय शिक्षण संस्थाओं को चिन्हित किया गया। इन केन्द्रों पर प्रवासी व्यक्तियों के ठहरने की पर्याप्त व्यवस्था की गई है। इन्हें जिला प्रशासन एवं स्थानीय निकायों के सहयोग से भोजन इत्यादि उपलब्ध कराया जा रहा है। व्यवस्था में सहयोग के लिए छात्रावास अधीक्षकों एवं रसोईयां की ड्यूटी भी लगाई गई है। वर्तमान में 110 से अधिक चिन्हित विभागीय संस्थाओं में 2200 से अधिक प्रवासी व्यक्ति रूके हुए हैं।

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