ग्रीष्म कालीन फसल में दलहन-तिलहन की खेती से किसानों की बढ़ी आय, लॉक डाउन में मूंगफली व उड़द की खेती से मिला लाभ…

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रायगढ़// खरीफ व रबी की परपंरागत खेती के साथ ही ग्रीष्मकालीन जायद फसल में दलहन और तिलहन की खेती से किसान लाभान्वित हो रहे है। आय में वृद्धि के साथ ही फसलों को बदलकर उगाने से कृषि भूमि की उर्वरता में सुधार हुआ है, जिससे किसान खरीफ तथा रबी में अपनी परंपरागत फसलों की अच्छी पैदावार लेकर आय को बढ़ा सकेंगे।

जिले के लैलूंगा विकासखण्ड के ग्राम-रूडूकेला के कृषक भोजराम जिनके पास कुल 2.148 हेक्टर कृषि भूमि है। वह खरीफ फसल में धान लगाता है और ग्रीष्मकालीन में भी धान की ही फसल ले रहा था। कृषि विभाग के अधिकारियों की सलाह पर ग्रीष्मकालीन फसल में विभाग द्वारा संचालित योजना टीआरएफए योजना के तहत धान के स्थान पर मूंगफली फसल लगाया। जिसके लिये विभाग से उसे 1 क्विंटक्ल मूंगफली बीज एवं अन्य आदान सामग्री मिली। तीन महीने का लॉकडाउन होने के बीच भी कृषक भोजराम शासन की गाईड लाइन्स का पालन करते हुये कृषि कार्य में जुटा रहा। अपनी एक हेक्टेयर जमीन पर मूंगफली बीज की बुवाई की। एक हेक्टेयर में उसे 16 क्विंटल मूंगफली की उपज मिली। जिसे उसने स्थानीय लैलूंगा बाजार में विक्रय कर 72 हजार रुपए प्राप्त किये।

लैलूंगा के ही एक अन्य कृषक कायम अली ने एक हेक्टेयर कृषि भूमि है पर धान के स्थान पर उड़द फसल की खेती किया। विभाग से उसे 20 कि.ग्रा. प्रमाणित उड़द बीज एवं अन्य आदान सामग्री मिली। एक हेक्टेयर में उड़द बीज की बुवाई किया। जिसमें उसे उड़द की अच्छी पैदावार मिली। फसल पकने पर कटाई करने के उपरांत लगभग 8 क्विंटल उड़द बीज प्राप्त हुआ। जिसे बाजार में 6 हजार रुपए प्रति क्विंटल बेचने पर कुल 48 हजार रुपए प्राप्त हुए। उड़द बीज की फसल को देखकर आसपास के कृषक भी उससे प्रोत्साहित हो रहे है।

किसान भोजराम व कायम अली ने अच्छी उपज पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा कि विभागीय योजनाओं से कृषकों को परंपरागत खेती के साथ-साथ अन्य फसल लेने से आय में अतिरिक्त वृद्धि मिल रही है। इसके साथ ही भूमि की उर्वरता बढ़ी है, जिससे खरीफ व रबी की फसलों की पैदावार भी ज्यादा मिलने की उम्मीद है। उन्होंने यह भी कहा कि हमारी फसल देखकर पास के दूसरे किसान भी ग्रीष्म काल में दलहन और तिलहन की फसल लेने में रूचि दिखा रहे है।

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