कोरबा : जान हथेली पर लेकर चलने वाले 108 कर्मियों की सुरक्षा को लेकर लापरवाह बनी ठेका कम्पनी, बिना पीपीई किट संजीवनी वाहन भेज दी कोरोना पीड़ित को लाने पसान, स्वास्थ्य विभाग लापरवाह कंपनी पर बना हुआ है मेहरबान..

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कोरबा (पूजा साहू)/ कोरोना के संकटकाल में भी लापरवाही का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। जिस वाहन में बैठ कोरोना पीड़ित मरीज अस्पताल पहुचते है उसी के चालकों को लेकर ठेका कंपनी लापरवाह बनी हुई है। आज देर शाम कोरबा जिले के पसान पहुंची संजीवजी 108 में फिर वही नज़ारा देखने को मिला जो पहले कुदुरमाल और उससे पहले अन्य जगहों में देखने को मिला था। यहां बिना पीपीई किट के ही MT चालको को मरीज लाने भेज दिया गया। जबकि प्रोटोकाल में मुताबिक वाहन चालक को पीपीई पहनना अनिवार्य है, जिसकी पूर्ति की जिम्मेदारी संबंधित ठेका कंपनी की है।

दरअसल पसान के क्वारंटाइन सेंटर में देर शाम एक कोरोना मरीज की पुष्टि हुई है। कोरोना मरीज एक श्रमिक है जो हाल ही के दिनों में मुम्बई से लौटा था। 19 मई को इसका सैम्पल भेजा गया था, जिसकी रिपोर्ट आज मिली है। कलेक्टर किरण कौशल के निर्देश पर स्वास्थ्य अमले में हरकत में आते पीड़ित मरीज को MCH हॉस्पिटल बिलासपुर ले जाने की तैयारी भी कर ले लेकिन जिस वाहन को पसान भेजा गया उसके ड्राइवर के पास पीपीई किट ही नहीं था। जिसके बाद MT चालक ने मरीज ले जाने से इंकार कर दिया। बाद में स्वास्थ्य विभाग द्वारा जटगा से दूसरी एम्बुलेंस को बुलाकर मरीज को रवाना किया गया।

आपको बता दें कि सुरक्षा में लापरवाही का यह कोई पहला मामला नहीं है जब बिना पीपीई के संजीवनी एक्सप्रेस को भेज दिया गया हो। इसके पहले भी 22 मई को कुदमुरा में मिले कोरोना पीड़ितों को लेनी पहुंची एम्बुलेंस के कर्मियों को ठेका कंपनी ने पीपीई किट नहीं दिया था। जिसके बाद चालक के विरोध के बाद स्वास्थ्य विभाग ने पीपीई की व्यवस्था कर एम्बुलेंस को रवाना किया था, जबकि किट सहित अन्य सुरक्षा की जिम्मेदारी संबंधित ठेका कंपनी की है। बावजूद इसके स्वास्थ्य विभाग ऐसे लापरवाह ठेका कंपनी पर मेहरबान बना हुआ है।

वहीं इस दौरान पसान कोरेन्टीन सेंटर में एक और लापरवाही देखने को मिली यहां किसी भी तरह की विधुत व्यवस्था नहीं थी अधिकारियों के आने की सूचना पर आनन-फानन में वैकलिपक तौर पर लाइट लगाया गया। ऐसे में कोरेन्टीन सेंटर की बेहतरी के दावों की हकीकत की पोल खुलते नजर आ रही है और शायद यही वजह है कि इसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है। जिसके फलस्वरूप कोरेन्टीन सेंटर में रह रहे लोग सांप और जहरीले जीव जंतुओं की चपेट में अपनी जान गवां रहे है। फील्ड के लोग ऊपर बैठे अधिकारियों को गलत जानकारी दे रहे है या फिर जान बूझ कर स्वास्थ्य विभाग लोगो की जिंदगी से खिलवाड़ कर रही है यह गंभीर विषय बन गया है।

इन सब अव्यवस्थाओ के बीच क्या आवाम की जान से इसी तरह खिलवाड़ किया जाता रहेगा या नही यह तो आने वाला समय ही बताएगा। मगर सोचने वाली बात यह है कि आखिर कब तक जिले के उच्च अधिकारी लापरवाह कर्मचारियों और लापरवाह ठेका कंपनियों पर कार्रवाई करते है।

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