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रायपुर// छत्तीसगढ़ की बहुचर्चित भारतमाला सड़क परियोजना में हुए करोड़ों के मुआवजा घोटाले में रायपुर के तत्कालीन SDM निर्भय साहू की मुश्किलें अब बढ़ गई हैं। गिरफ्तारी से बचने के लिए साहू ने कोर्ट में अग्रिम जमानत की अर्जी लगाई थी, लेकिन EOW/ACB की विशेष अदालत ने यह याचिका सख्ती से खारिज कर दी।
यह मामला रायपुर-विशाखापत्तनम भारतमाला कॉरिडोर के लिए की गई भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया से जुड़ा है, जिसमें करोड़ों के सरकारी धन के दुरुपयोग का आरोप है। जांच में सामने आया है कि अभनपुर इलाके में किसानों की जमीनों का मुआवजा जानबूझकर रिकॉर्ड में हेरफेर कर 18 गुना तक बढ़ाया गया। इस बढ़ी हुई रकम का एक बड़ा हिस्सा अफसरों और भू-माफियाओं की जेब में चला गया, जबकि किसानों को सिर्फ नाममात्र का भुगतान मिला।
निर्भय साहू पर आरोप है कि उन्होंने कुछ खास ज़मीन मालिकों को लाभ पहुंचाने के लिए नियमों को ताक पर रखकर गलत मुआवजा वितरण किया। विभागीय जांच में यह भी पाया गया कि उन्होंने न सिर्फ लापरवाही की, बल्कि सरकारी खजाने का दुरुपयोग करते हुए राज्य को भारी नुकसान पहुंचाया।
इस घोटाले की शिकायत पूर्व कृषि मंत्री चंद्रशेखर साहू और भाजपा किसान मोर्चा के नेता गौरीशंकर श्रीवास ने की थी। मामला करीब साढ़े तीन साल पुराना है, जब राज्य में कांग्रेस की सरकार थी।
मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार ने जिला स्तरीय जांच कमेटी बनाई थी। जांच रिपोर्ट आने के बाद साहू को पांच महीने पहले निलंबित कर दिया गया, जब वे जगदलपुर नगर निगम के आयुक्त के पद पर कार्यरत थे। अवर सचिव क्लेमेंटिना लकड़ा द्वारा उनका निलंबन आदेश जारी किया गया था।
अब जब कोर्ट ने अग्रिम जमानत से इनकार कर दिया है, तो उनकी गिरफ्तारी तय मानी जा रही है। भारतमाला परियोजना घोटाले में यह एक अहम मोड़ है और इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई के रूप में देखा जा रहा है।


 
		 
		 
		 
		