राष्ट्रीय आदिवासी लोक नृत्य महोत्सव : जन-जातियों के प्रकृति प्रेम को करमा नृत्य ने किया जीवंत, छत्तीसगढ़, उत्तरप्रदेश और बिहार के कलाकारों ने दी शानदार प्रस्तुति..

शेयर करें...

रायपुर// छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राजधानी रायपुर में आयोजित राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव आदिम सभ्यता-संस्कृति-परंपराओं को जानने का अवसर देने के साथ प्रकृति के अनुपम उपहारों हवा, जल ,जंगल, जमीन के साथ पर्यावरण संरक्षण महत्व को भी जन-जन तक पहुंचा रहा है। प्रकृति के महत्व को रेखांकित करते हुए राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में दूसरे दिन पारंपरिक त्यौहार, अनुष्ठान, फसल कटाई, कृषि एवं अन्य पारंपरिक विधाओं पर नृत्य प्रतियोगिता आयोजित हुई। इसमें छत्तीसगढ़, उत्तरप्रदेश और बिहार के कलाकारों ने करमा नृत्य की प्रस्तुति दी। बिहार राज्य से आए लोक नृर्तक दल ने मयूर पंख लगाकर करमा नृत्य की आकर्षक प्रस्तुति दी। बिहार इस नृत्य को वर्षा ऋतु के अलावा अन्य ऋतुओं में दीपावली जैसे खुशियों के पर्व त्यौहारों पर किया जाता है।

Join WhatsApp Group Click Here

इसी तरह उत्तर प्रदेश के कलाकारों ने करमा देवता को समर्पित करते हुए वृक्षों की पूजा करते हुए करमा नृत्य की प्रस्तुति दी। उत्तर प्रदेश में पुरूषों एवं स्त्रियों द्वारा ढोल एवं तालियों की थाप पर वृक्ष की परिक्रमा करते हुए करमा नृत्य किया जाता है। आदि सभ्यता से संबंधित इस नृत्य में वन सम्पदा और प्रकृति से जुड़े तत्वों के देवता करमा के रूप में धरती मां और प्रकृति के पंच तत्वों की पूजा की जाती है। बिहार और उत्तर प्रदेश की तरह छत्तीसगढ़ के कलाकारों ने भी मोर पंख लगाकर पारंपरिक परिधान में ढोल की थाप पर मनोरम करमा नृत्य की प्रस्तुति दी। उन्होंने जंगल और वन्यप्राणी और मनुष्य के पारस्परिक सहजीवन के दृश्य को स्टेज पर जीवंत कर दिया। छत्तीसगढ़ में भी प्रकृति के देवता की उपासना करते हुए करमा नृत्य किया जाता है। जिसके माध्यम से प्राकृतिक पेड़-पौधों को जीवित रखते हुए पर्यावरण को बचाने का संदेश दिया जाता है। आदिवासी लोक नृत्य करमा में जीवन रक्षा के लिए प्रार्थना की जाती है।

Scroll to Top